यूपी के तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को अब फिर से महंगी बिजली देने की तैयारी शुरू हो गई है. दरअसल, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की एनुअल परफॉर्मेंस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. अब इस पर सुनवाई होगी. ऐसे में मान लीजिए कि बिजली दरों को बढ़ाने के लिए शासन ने पहल शुरू कर दी है.
हालांकि, एक और अहम बात यह है कि बिजली कंपनियों को दर बढ़ाने के लिए आयोग में एआरआर के साथ ट्रैरिफ प्रस्ताव भी दाखिल करना था, जिसे बिजली कंपनियों ने नहीं किया है. इसके बाद भी नियामक आयोग ने खुद ही इसको स्वीकार कर लिया है. अब वहां बिजली दर बढ़ाने को लेकर चर्चा होगी.
दूसरी तरफ उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसको गलत करार दिया है. उसने इस पर दलील दी है कि पहले से ही महंगाई चरम पर है ऐसे में इससे उपभोक्ताओं का शोषण बढ़ेगा. बताया जा रहा है कि जुलाई से अगस्त के बीच कभी भी बिजली की कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं.
(120 दिन के अंदर नया ट्रैरिफ लाना अनिवार्य)
विद्युत अधिनियम 2003 के मुताबिक अगर एआरआर को स्वीकार कर लिया गया है तो 120 दिन के अंदर नया टैरिफ लाना अनिवार्य है। इस दौरान उपभोक्ता परिषद या कोई दूसरा पक्ष आयोग में अपनी बात रख सकता है. इसमें वो ये बता सकता है कि बिजली दर नहीं बढ़नी चाहिए.
वहीं, बिजली दर कितनी बढ़ेगी यह प्रस्ताव कंपनियों को देना होता है. मगर, इस बार कंपनियों की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है. ऐसे में इस बार बिजली दर बढ़ाने का आखिरी फैसला नियामक आयोग का होगा. माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में सुनवाई की तारीख घोषित हो जाएगी.
Related posts
- Comments
- Facebook comments