ये साल 2007 की वो तस्वीर है जब योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे और गोरखपुर में खुद को असुरक्षित महसूस करते थे. भरी संसद में पूरे देश ने उनके इन आंसुओं को देखा था. भरी संसद में वो साफ कह रहे थे कि उन्हें गोरखपुर में डर लगता है. उन्हें अपराधी बनाया जा रहा है.
एक सांसद का भरी संसद में इस तरह रोना हर किसी को हैरान कर रहा था. लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी बार-बार योगी आदित्यनाथ को संभालने की कोशिश कर रहे थे. मगर, योगी का साफ कहना था कि उनके खिलाफ षडयंत्र हो रहा है और वो गोरखपुर में बहुत ही कमजोर महसूस करते हैं. मगर, योगी आदित्यनाथ ने खुद को संभाला और अपनी साधना जारी रखी. ऐसी साधना जिसे राजनीति में गेम चेंजर कहते हैं. इसी साधना का नतीजा है कि योगी आदित्यनाथ अब उसी गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे जिस गोरखपुर में कभी वो असुरक्षित महसूस करते थे. जिन विरोधियों से कल तक उनको डर लगता था आज उन्हीं के खिलाफ उन्होंने ताल ठोक दी है. ये वही गोरखपुर है जहां कभी माफिया राज हुआ करता था लेकिन पांच साल में योगी आदित्यनाथ ने उन सबका सफाया कर दिया. याद कीजिए 2017 का वो दिन जब योगी आदित्यनाथ ने सीएम पद की शपथ लेने के बाद ये प्रण ले लिया था कि प्रदेश से माफिया राज खत्म करेंगे.
योगी आदित्यनाथ ने खुद के आंसूओं का बदला लिया. उन्होंने प्रदेश में माफियाओं की शामत लाकर अपनी प्रतिज्ञा को पूरा किया. एक बार फिर सुनिए जब योगी आदित्यनाथ संसद में रो रहे थे और अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे थे.
ये साल 2007 की तस्वीर है. मगर आज तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है. प्रदेश में अब माफिया खुद की सलामती की दुआ मांगते हैं. वो पूर्वांचल जो कभी माफियाओं के सांये में रहता था आज वो पूर्वांचल माफियाओं की कब्रगाह बन चुका है. ज्यादातर अपराधी या तो जेल में हैं या प्रदेश छोड़ गए हैं. इतना ही नहीं गुंडों और बगमाशों के अंदर इतना भय है कि अब प्रदेश में बुल्डोजर से उन्हें डर लगने लगा है. योगी का बुल्डोजर जिधर घूम जाता है बदमाशों की सांसें अटक जाती हैं. राजनीति में इसे ही कहते हैं गेम चेंजर
अस्तित्व न्यूज़ के लिए प्रवीण तिवारी की रिपोर्ट