ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है या फव्वारा, इसको लेकर सड़क से कोर्ट तक में बहसबाजी चल रही है। मगर, जो लोग यहां शिवलिंग होने का दावा कर रहे हैं, उनमें भी कई मत हैं। विश्वेश्वर शिवलिंग के बाद अब यहां पर नंदीकेश्वर शिवलिंग का भी दावा किया जा रहा है।
स्कंधपुराण के ग्रंथ काशीखंड में ये लिखा हुआ है कि ज्ञानवापी के उत्तर दिशा में नंदी और उनके द्वारा स्थापित नंदीकेश्वर शिवलिंग है। नंदीकेश्वर उत्तर दिशा से ज्ञानवापी के जल की रक्षा करते हैं। इसलिए वजू खाने में प्राप्त शिवलिंग नंदीकेश्वर का है। ये दावा किया है काशी हिंदू विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग के प्रो. माधव जनार्दन रटाटे ने। उन्होंने काशीखंड के एक श्लोक का हवाला देते हुए बताया कि शैलादीश्वरमालोक्य ज्ञानवाप्या उदक्दिशि।लभेत् गणत्वपदवीं नात्र कार्या विचारणा। बताया कि नंदीश्वर का दूसरा नाम शैलादीश्वर है। वहीं, गुरुचरित्र ग्रंथ के 42वें अध्याय में ज्ञानवापी और नंदिकेश्वर का स्पष्ट उल्लेख है।
नंदी ने की थी शिवलिंग की स्थापना
कृत्यकल्पतरु के अनुसार भी ज्ञानवापी के उत्तर में नंदीश्वर हैं। वजूखाने के विशाल शिवलिंग को देखते हुए कहा जा सकता है कि शिव के वाहन नंदी में ही यह क्षमता है, जो कि इतने विशाल शिवलिंग को स्थापित कर सकते हैं। नेपाल नरेश के द्वारा स्थापित विशाल नंदी का मुख भी उसी दिशा की ओर है। संभव है कि यह लिंग नंदीकेश्वर का हो। कुबेरनाथ शुक्ल ने अपनी किताब में ज्ञानवापी से उत्तर में नंदीकेश्वर को लुप्त दिखाया है। ये लुप्त स्थान मस्जिद का ही है। शिव रहस्य के अनुसार ज्ञानवापी की 8 दिशाओं में 8 कुंड थे। संभव है कि मस्जिद में वजूखाने के पास दिखने वाला यह कुंड भी उन 8 कुंडों में से एक हो।