अश्वनी निगम
कानपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ का बुलडोज़र यूपी में दहाड़ रहा है। भू माफिया अपराधी गुंडों के दिलो में सरकार की दहशत है। खौफ इतना है कि, भू माफिया, गुंडे, बदमाश या तो जेल में है या फिर प्रदेश को छोड़कर अंदरग्राउंड हो गए हैं। लेकिन कानपुर का ये खनन माफिया, ‘महाराज जी’ से नहीं डरता। नियमों का ताक पर रखकर पोकलैंड के जरिए गंगा का सीना छलनी करने के बाद उससे बालू निकाल कर अपनी तिजोरी भर रहा है। अस्तित्व की टीम गंगाबैराज स्थित रानी गंगा घाट पर पहुंची तो माफिया के गुर्गे बालू का कारोबार धड़ल्ले से करते हुए कैमरे में कैद हुए।
पड़ताल में पूरे खेल का राजफाश
गंगा में खनन पर प्रतिबंध के बावजूद माफिया इसे दिन-रात छलनी कर रहे हैं। कानपुर जिले की करीब 70-80 किमी की सीमा से होकर गंगा नदी गुजरती है। इस क्षेत्र में थोड़ी-थोड़ी दूर पर जेसीबी और पोकलैंड मशीन लगाकर खनन किया जा रहा है। यह पूरा कारोबार प्रशासन – पुलिस-की शह पर जारी है। न कोई रोकटोक न कोई सवाल-जवाब। खनन माफिया बेखौफ होकर धंधे में लगे हैं। अस्तित्व न्यूज की पड़ताल में पूरे खेल का राजफाश हो गया।
मोती इंटरप्राइज़ेज की पोकलैंड निकाल रही बालू
गंगा बैराज के रानीघाट पर मोती इंटरप्राइज़ेज़ की जेसीबी और पोकलैंड गंगा को छलनी कर रही है। इतना ही नहीं मोती इंटरप्राइज़ेज के गुर्गे एनजीटी के नियमों को ताक पर रख कर गंगा की बीच धार से बालू को निकाल रहे हैं। माफिया यहां से यूपी के कई जिलों के अलावा बिहार में भी खेप भेजते हैं। ट्रैक्टर और डंपर दिन-रात रेत ढोने में जुटे रहते हैं। खनन दिन के साथ ही रात के अंधेरे में होता है। डंपर और ओवरलोड ट्रक जब गंगा से बाहर आते हैं तो सड़कों को बर्बाद कर रहे हैं।
क्या हैं एनजीटी के नियम
एनजीटी ने नदियों से खनन निकाले जाने को लेकर गाइडलाइन बनाई हुई हैं। जिसके तहत खनन के लिए नदी के प्रवाह क्षेत्र में बदलाव नहीं किया जा सकता है। बहती धारा किसी भी तरह से परिवर्तित नहीं होगी। धारा के बीच मे बालू का खनन नहीं हो सकता। 3 मीटर से ज़्यादा या नदी के भू जल स्तर से अधिक गहराई से बालु निकालने पर पाबंदी है। रात के वक्त खनन का काम करना मना है। खनन में एक से ज़्यादा पोकलैंड मशीन की इजाज़त नही है।
नहीं मानता एनजीटी के नियमों को
मोती इंटरप्राइज़ेज़ खुद को फ़िल्म वन्स अपॉन ए टाइम इन मुम्बई का सुल्तान मिर्ज़ा समझता है। यही वजह है कि वो सारे काम वही कर रहा है जिसकी इजाज़त सरकार नहीं देती। मोती इंटरप्राइज़ेज़ कई पोकलैंड लगाकर गंगा में खनन कर रहा है। दिन रात उसके डंपर बालू ढो रहे हैं और खनन अधिकारी केबी सिंह सबकुछ देखते हुए धृतराष्ट्र बने हुए है। मोती इंटरप्राइज़ेज़ की तमाम शिकायतें हुईं। कुछ लोगों ने जिलाधिकारी कानपुर नेहा शर्मा से खनन अधिकारी और मोती इंटरप्राइज़ेज़ की दोस्ती की शिकायत की, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं हुई।
इस तरह करते हैं खेल
बाढ़ के समय तराई के इलाकों के खेतों में बड़े पैमाने पर बालू जमा हो जाती है। इसके लिए नियम है कि किसान को तीन महीने का लाइसेंस दिया जाएगा। इसके आधार पर किसान खेत से बालू निकलवा सकता है। इसमें माफिया खेल करते हैं। एक जानकार ने बताया कि माफिया किसानों से बातचीत कर उनको लाइसेंस दिलवाते हैं। इसके बाद मनचाही जगह से बालू ले जाते हैं। कोई सवाल करता है तो लाइसेंस का हवाला देते हैं। इसी तरह पूरा खेल चल रहा है।
चपेट में आने से लोग हो रहे घायल
रानीघाट स्थित रहने वाले लोगों ने बताया कि, यहां का ठेका मोती इंटरप्राइज़ेज़ को मिला हुआ है। सुबह से लेकर पूरी रात बालू से भरे ट्रक और डंफर निकलते हैं। रात को बच्चे और बुजुर्ग इनकी चपेट में आने से घायल हो जाते हैं। स्थानीय पुलिस से कईबार शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का आरोप है कि माफिया की पकड़ पुलिस-प्रशासन में है।
खनन अधिकारी के चलते माफिया निडर
गंगा को निर्मल अभियान से जुड़े एक समाजसेवी ने बताया कि, रानीघाट पर माफिया धड़ल्ले से बालू निकाल रहे हैं। रात को गंगा में रेत के जरिए बांध बना दिया जाता है। माफिया के गुर्गे चप्पे-चप्पे पर तैनात रहते हैं। तय मानक से ज्यादा बालू निकालने से जलीय जीवों पर संकट खड़ा हो गया है। समाजसेवी का आरोप है कि खनन के इस पूरे खेल में खनन अधिकारी केबी सिंह का अहम रोल है। आरोप है कि, इसी की मदद से माफिया गंगा से बालू निकाल कर करोड़ों की कमाई कर रहा है।
अफसरों को नहीं दिखता ये कारोबार
डीएम, पुलिस किमिश्नर, खनन अधिकारी जैसे तमाम अफसरों की जिले में फौज है। बच्चे-बच्चे को खनन के बारे में जानकारी है। किसी से भी बात करो वह खनन माफिया के नाम से लेकर खनन कहां-कहां हो रहा है, इनकी जानकारी दे देगा। मगर यह सब इन जिम्मेदार अफसरों को नहीं दिखाई दे रहा। या ये कहें कि सांठगांठ की वजह से अवैध कारोबार को नजरअंदाज करते हैं। गंगा किनारे तो छोड़िए, बीचों-बीच जेसीबी लगी हैं। कई-कई बीघे में रेत निकालकर खाई बना दी गई है। वहां आसानी से खनन होता रहता है। हमारी टीम पहुंची तो जेसीबी व डंपर चालक वहां से चले गए।