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जानिए सावन के तीसरे सोमवार को पाकिस्तान समेत देश की 12 नदियों और तीन समुद्रों से लाए गए जल से क्यों किया गया अभिषेक

वाराणसी। सावन के तीसरे सोमवार को बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक बेहद खास रहा। लंबे अंतराल के बाद पाकिस्तान की सिंधु समेत देश की 12 पवित्र नदियों और तीन सागर के जल से अभिषेक किया गया। इस अवसर पर लाखों की संख्या में भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे। बाबा विश्वनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। इससे पहले डमरू बजाते हुए यात्रा निकाली गई। बता दें, भक्त, सिंहद्वार (डेढ़सीपुल) से साक्षी-विनायक होते हुए गेट नंबर एक से विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने जाएंगे। फिर मां अन्नपूर्णा का दर्शन करके ढुंढिराज से होकर वापस साक्षी-विनायक के दर्शन करने के बाद जलाभिषेक का समापन होगा। कोरोना संक्रमण काल के बाद जलाभिषेक को लेकर व्यापारियों में उत्साह है।

विश्वनाथ गली व्यवसायी संघ के नेतृत्व में होने वाले जलाभिषेक में इस बार विशेष तौर पर पाकिस्तान की सिंधु के साथ ही देश के विभिन्न भागों से 12 नदियों व तीन सागरों जिनमें माता गंगा के अलावा यमुना, सरस्वती (त्रिवेणी-संगम), कावेरी, ताप्ती, ब्रह्मपुत्र, अलकनंदा, वरुणा, गोदावरी, क्षिप्रा, सिन्ध, कृष्णा, नर्मदा के साथ ही तीन महासागरों महानद (गंगासागर), अरब-सागर के साथ ही हिंद-महासागर का जल मंगाया गया था। जल को अलग-अलग कलशों में रखकर “नागकेसर“ मिश्रित करके वैदिक रिती से पुजन किया गया। शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 11 वैदिक छात्रों द्वारा पुजन कराया गया।

जलाभिषेक के लिये विश्वनाथ गली के व्यापारी सुबह आठ बजे चितरंजन पार्क पर इक्कठा होकर दशाश्वमेध घाट से अपने पात्रों में जल लिया। संघ के अध्यक्ष व साक्षी-विनायक मंदिर के महंत रमेश तिवारी के नेतृत्व में डमरूओं की गड़गड़ाहट और शंख ध्वनि करते हुए व्यापारियों का समुह परंपरागत मार्ग सिंहद्वार (डेढ़सीपुल) से साक्षी-विनायक होते हुए गेट नं.-1 ढुंढिराज गणेश से विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने पहुचें। गर्भ-गृह में बाबा का जलाभिषेक के पश्चात व्यापारी अन्नपूर्णा दर्शन करके ढुंढिराज से होकर वापस साक्षी-विनायक पहुंच कर पूजन किया।

विश्वनाथ गली व्यवसायी संघ के महामंत्री कमल तिवारी ने बताया, विश्व कल्याण की कामना के साथ जलाभिषेक यात्रा निकाली गई। परंपरा निभाते हुए दशाश्वमेध के चितरंजन पार्क पर व्यापारी कलश में जल लेकर इकट्ठा हुए। भोर में पारंपरिक तरीके से बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती हुई। आरती के बाद बाबा विश्वनाथ के मंदिर के गर्भगृह के पट झांकी दर्शन के लिए खोल दिए गए। तिवारी के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते जल अभिषेक बाबा का नहीं हो पाया था। सावन के तीसरे सोमवार को जलाभिषेक करने से बाबा विश्वनाथ भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि सावन का महीना हर तरह से फलदायी और पुण्यकारी होता है। महादेव अपने भक्तों के ऊपर हमेशा विशेष कृपा करते हैं। आसानी से प्रसन्न भी हो जाते हैं। सावन में सनातन धर्मियों को भगवान शिव को जल अर्पित कर उन पर बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही ऊं नमः शिवाय का जाप हमारे कष्टों और बाधाओं को दूर कर हमें भगवान शिव की कृपा दिलाता है।

 

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