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पीएम नरेंद्र मोदी ने गुलामी के निशान से दिलाई आजादी और नौसेना को सौंपा आईएनएस विक्रांत, जानें इसे क्यों कहा जाता समंदर का ‘बाहुबली’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना को सौप दिया। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने इंडियन नेवी के ध्वज के नए निशान का अनावरण करने के साथ ही पुराने ध्वज से क्रास को हटा दिया । इसके अलावा नौसैनिक क्रेस्ट को फिर से झंडे में शामिल किया गया है। जिस पर लिखा है कि, शं नो वरुणः। इस खास मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि, आज नौसेना ने आज गुलामी का एक निशान अपने सीने से उतार दिया है। हमारी नौसेना को समंदर का बाहुबली मिल चुका है। जो भारत के विकास में अहम योगदान देगा।

पीएम ने कहा ये तैरता हुआ शहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कोच्चि पहुंच। उन्हें कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में गार्ड आफ आनर दिया गया। इसके बाद पीएम ने इंडियन नेवी को समंदर के बाहुबली आईएसएस विक्रांत सौंपा। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि, साथियों विक्रांत के हर एक भाग की एक खूबी और ताकत और विकास यात्रा है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबैस में जो स्टील लगी है, वो स्वदेशी है। उसे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। ये युद्धपोत से ज्यादा एक तैरता हुआ एयरफील्ड है, तैरता हुआ शहर है। इसमें इतनी बिजली पैदा हो सकती है, उससे पांच हजार घरों को रोशन किया जा सकता है।

पीएम ने कहा तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं
पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि, भारत जब ठान लेता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है। आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है जो स्वदेशी तकनीकों से विशाल एयरक्राफ्ट का निर्माण करता है। आज विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है। देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है। आज विक्रांत को देखकर समुंदर की ये लहरें आह्वान कर रही है। विक्रांत विशाल है, विराट, विहंगम, विशिष्ट है। ये विशेष भी है। विक्रांत एक युद्धपोत नहीं है। ये 21 वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रितबद्धता का प्रणाम है। केरल के समुद्री तट पर हर भारतवासी एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है।

पीएम मोदी ने कहा इंडियन नेवी और मजबूत होगी
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि, हम नौसेना का बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक हर दिशा में काम कर रहे हैं। आने वाले समय में हमारी नेवी और मजबूत होगी। दुनिया के देशों विशेषकर पड़ोसी देशों के लिए व्यापार के रास्ते खुलेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा इसमें इतने केबल का इस्तेमाल किया है वो अगर कोच्चि से शुरू हो तो काशी तक पहुंच सकते हैं। ये जटिलता हमारी इंजीनियरर्स की जीवटता का उदाहरण है। अभी तक इस तरह के एयरक्राफ्ट कैरियर सिर्फ विकसित देश ही बनाते हैं, आज भारत ने इस लीग में शामिल होकर विकसित राष्ट्र की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है।

पीएम मोदी ने कहा गुलामी के निशान को सीने से उतारा
पीएम मोदी ने कहा, ’भारत ने गुलामी के एक निशान को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। अब तक नौसेना के ध्वज पर गुलामी का निशान था। अब से छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित निशान नौसेना के ध्वज में लहराएगा। आज में नौसेना के जनक छत्रपति शिवाजी महाराज को नया ध्वज समर्पित करता हूं।’ बता दें, भारत को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी कई चीजों में गुलामी के दिनों की छाप नजर आ जाती है। मोदी सरकार की कोशिश इसी छाप को मिटाने की है। इसी कड़ी में आज नौसेना को भी अंग्रेजों के दिए गए चिन्ह से आजादी मिल गई।

जानें विक्रांत की क्या है ताकत
बतादें, आईएनएस विक्रांत को बनने में 13 साल लगे हैं। साल 2099 में इसका काम शुरू हुआ था। 2011 में इसका ढांचा बनकर तैयार हो गया था। बीते साल अगस्त में इसे पहली बार समंदर में उतारा गया। अगले साल तक ये पूरी तरह आपरेशनल हो जाएगा। विक्रांत से नौसेना की आक्रामक एवं रक्षात्मक क्षमताएं और मजबूत होंगी। विक्रांत की लंबी दूरी की सामरिक वायु शक्ति हिन्द महासागर क्षेत्र में ’फर्स्ट रिस्पांडर’ के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी। भारत का नाम भी उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जो विमान वाहक पोतों को डिजाइन करने और इनके निर्माण की विशिष्ट क्षमता रखते हैं। विक्रांत की अधिकतम स्पीड 28 समुद्री मील यानी 52 किमी प्रति घंटा होगी। युद्धपोत को वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है। आईएसी विक्रांत 262 मीटर लंबा युद्ध पोत है। इसमें लगे विद्युत केबल की लंबाई 2500 किमी है।

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