जोधपुर। देश ही नहीं विदेशों में गणेश महोत्सव की धूम हैं। मंदिर से लेकर पंडालों में गजानन विराजमान हैं और सुबह से लेकर देररात तक पूजा-अर्चना का दौर चल रहा है। भक्तों की हर मनोकामना भगवान गणेश पूरी करते हैं। इसी पर्व के बीच हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दुनिया भर में इकलौता है। राजस्थान के जोधपुर स्थित 100 वर्ष प्राचीन मंदिर में इश्किया गणपति जी विराजमान हैं। यहां प्रेमी-प्रेमिका आते हैं और मोहब्बत सक्सेसफुल हो इसके लिए अर्जी लगाते हैं।
जोधपुर शहर के परकोटे यानी पुराने जोधपुर शहर में स्थित गणेशजी के मंदिर को इश्किया गणेश के नाम से जाना जाता है। आड़ा बाजार जूनी मंडी में स्थित इस गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के मौके पर मेले सा माहौल रहता है और साथ ही हर बुधवार बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां पर प्रेमी जोड़े पत्र लिखकर छोड़ते हैं तो उनकी मुराद पूरी होती है। मंदिर का नाम वैसे गुरु गणपति मंदिर है, लेकिन यहां आने वाले भक्तों की संख्या अधिकतर युवाओं ही होती है।
मंदिर के पुजारी के मुताबिक, स्थापना के समय नाम तो कुछ और रखा गया था लेकिन अब इनका नाम सालों से इश्किया गणपति है। माना जाता है कि ये प्रेमी जोड़ों को मिलाते हैं। बस एक बार अर्जी मिल जाए। इसके लिए भक्त अपने-अपने लव लेटर लेटर गणेश मंदिर में पहुंचते हैं। गणेश महोत्सव पर्व पर प्रेमी-प्रेमिका के साथ दंपत्ति भी अपने बेटे व बेटियों को लेकर आते हैं। दंपत्ति अपने बेटे व बेटियों को अच्छा वर मिले इसके लिए गणपति के दर पर माथा टेकने के साथ अर्जी लगाते हैं।
संकरी गली के अंतिम छोर पर स्थित यह मंदिर करीब सौ साल से भी पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि महाराजा मानसिंह के समय गुरु गणपति की मूर्ति गुरों का तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी। बाद में गुरों का तालाब से एक तांगे में मूर्ति को विराजित कर जूनी मंडी स्थित निवास के समक्ष चबूतरे पर लाकर प्रतिष्ठित किया गया था। कई साल पहले यहां प्रेमी जोड़ों ने मन्नत मांगी थी और वह पूरी होने के बाद गणपति का नाम इश्किया गणपति हो गया।