कानपुर। चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने हथियारबंद साथियों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। पुलिस ने मुख्य आरोपी समेत छह अपपराधियों को एनकाउंटर में ढेर करते हुए करीब तीन दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इन्हीं आरोपियों में मुम्बई से पकड़े गए गुड्डन त्रिवेदी के चालक सुशील तिवारी उर्फ सोनू था। जिसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। वैसे तो हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को सुशील तिवारी को जमानत मंजूर कर दी थी लेकिन, अभियोजन पक्ष की आपत्ति पर दोबारा सुनवाई हुई थी। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई पर तल्ख टिप्पणी करते हुए सुशील तिवारी को जमानत दी है।
क्या है पूरा मामला
शिवराजपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्रा दलबल के साथ गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार के लिए पहुंचते हैं। गिरफ्तारी की भनक विकास दुबे को लग जाती है और उसने खूनी वारदात को अंजाम देने का प्लान बनाता है। पुलिस की टीम जैसे गांव में दाखिल होती है, वैसे विकास दुबे अपने साथियों के साथ मिलकर उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर देता है। जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो जाती है। मामले में जवाबी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने भी विकास दुबे और उसके पांच साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। साथ ही विकास दुबे के करीब तीन दर्जन से ज्यादा मददगारों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सलाखों के पीछे कानपुर पुलिस पहुंचाती है।
दोनों को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
पुलिस ने जांच शुरू की तो सामने आया की इस बर्बर हत्याकांड में तमाम ऐसे लोग भी थे जो मौके पर तो नहीं थे लेकिन, उन्होंने विकास दुबे को कई तरह से मदद की थी। इसमें पड़ोसी गांव का गुड्डन त्रिवेदी भी था। पुलिस ने गुड्डन पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। इनाम घोषित होने के बाद 11 जुलाई 2020 को मुंबई एटीएस ने सूचना मिलने पर गुड्डन त्रिवेदी और उसके ड्राइवर सुशील तिवारी और सोनू को गिरफ्तार कर लिया पुलिस ने दावा किया कि पूछताछ में दोनों ने 2001 में हुए राज्य मंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड में शामिल होने की बात भी कबूली थी।
हाईकोर्ट में जमानत की दायर की थी याचिका
इस मामले में गुड्डन त्रिवेदी और उसके ड्राइवर सुशील तिवारी ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। बीती 30 सितंबर को हाईकोर्ट ने सुशील तिवारी की जमानत याचिका स्वीकार कर ली थी लेकिन, अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए जमानत देने का विरोध किया था कि उन्हें अभी विस्तृत रूप से नहीं सुना गया है। इसके बाद अदालत ने जमानत देने के अपने आदेश को स्थगित करते हुए दोबारा सुनवाई शुरू की थी। 19 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हुई थी और एक नवंबर को इससे संबंधित आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर भी अपलोड हो गया।
कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत
सुशील तिवारी की ओर से हाई कोर्ट में एडवोकेट लालमणि सिंह अनिल कुमार पाठक प्रशांत कुमार सिंह और प्रवीण कुमार ने बहस की। अदालत ने सुशील कुमार तिवारी की जमानत याचिका स्वीकार कर ली है। साथ ही पुलिस कार्रवाई पर सवाल भी खड़े किए हैं। जमानत आदेश के प्रस्तर में अदालत ने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए हैं। अदालत ने कहा है कि पुलिस की जांच में जयकांत बाजपेयी, प्रशांत शुक्ला, अरविंद त्रिवेदी गुड्डन और सुशील तिवारी को मौके पर मौजूद ना होना बताया गया है।
कोर्ट ने पुलिस पर खड़े किए सवाल
इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि यह लोग विकास दुबे को आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते थे। कोर्ट ने कहा है कि पुलिसिया साबित करने में सफल नहीं रही है कि उक्त चारों लोग पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे। अपराधी को आर्थिक संसाधन मुहैया कराना दूसरा मामला है, इसे 2 जुलाई के मामले से नहीं जोड़ा जा सकता। इसी आधार पर अदालत ने सुशील तिवारी को जमानत दे दी है। अब जल्द ही आरोपी सलाखों से बाहर आएगा। साथ ही अन्य आरोपियों के जेल से बाहर निकलने का रास्ता भी मिल गया है।
इसी आधार पर वह आगे की कार्यवाही करेंगे
अदालत की इस टिप्पणी से पुलिस की अब तक की कार्रवाई पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं जिसके आधार पर पुलिस लगातार दावा कर रही थी कि जय कांत बाजपेई व अन्य आरोपित हत्याकांड में सीधे तौर पर शामिल थे। जय बाजपेई के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि वे लोग लगातार इस बात की दलील दे रहे हैं कि 2 जुलाई 2020 की घटना से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हाईकोर्ट ने उनके इस बात पर मुहर लगा दी है। सुशील तिवारी को जमानत मिल गई है। इसी आधार पर वह आगे की कार्यवाही करेंगे।