विस्तारवादी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। गलवान और फिर तवांग में मार खाने के बाद उसे भारत की ताकत का अहसास हो गया है। गुरूवार से भारतीय वायुसेना एलएसी के पास फाइटर जेट्स के साथ दो दिवसीय युद्धाभ्यास करेगी। वायुसेना के शक्ति प्रदर्शन से चीन में खलबली मची हुई है। युद्धाभ्यास के दौरान राफेल और सुखोई विमान अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे। भारतीय वायुसेना चाबुआ, जोरहट, तेजपुर और हाशिमारा एयरबेस पर करेगी। पूर्वोत्तर से सटे चीन, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी पूर्वी कमांड ही करती है।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में झड़प हो गई थी। भारतीय सैनिकों ने डंडो से पीट कर चीनी सैनिकों पीटकर एलएसी के पार भगा दिया था। चीन हवाई क्षेत्र में लंबे समय से सीमा का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहा था। अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर कई बार अपने ड्रोन्स भेजे थे। इनके जरिए चीन लगातार हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कोशिश करता रहा है।
चीनी ड्रोन्स भगाने के लिए उतारने पड़े फाइटर जेट्स
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारत को चीन की इन हरकतों का जवाब देने के लिए कई बार अपने फाइटर जेट्स को उतारना पड़ा था। सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ हफ्तों में दो से तीन बार ऐसा हुआ, जब वायुसेना को एलएसी के पार आने की कोशिश कर रहे ड्रोन्स को खदेड़ने के लिए लड़ाकू विमान उतारने पड़े। वायुसेना को इन खतरों से निपटने के लिए सुखोई-30 एमकेआई जेट्स का सहारा लेना पड़ा।
चीनी युद्धपोत कर रहा थ निगरानी
कुछ दिन पहले हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करने वाला चीनी वैज्ञानिक अनुसंधान पोत यांग वांग-5 अब इस क्षेत्र से बाहर निकल गया है। लंबी दूरी के निगरानी ड्रोन और समुद्री गश्ती विमान सहित भारतीय नौसेना की संपत्तियों द्वारा पोत की लगातार निगरानी की जा रही थी। नौसेना के सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है।