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BBC documentary: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस… अप्रैल में होगी सुनवाई

supreme court: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुजरात (gujarat) 2002 के दंगो पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से डॉक्यूमेंट्री को लेकर किए गए ट्वीट हटाने को लेकर जारी किए आदेश की फाइल भी मांगी है। इस मामले की अप्रैल महीने में सुनवाई होगी।

जस्टिस संजीव खन्ना और एम एम सुंदरेश की बेंच के सामने 2 याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं। पहली याचिका वरिष्ठ पत्रकार एन राम, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और वकील प्रशांत भूषण की थी। इसमें डॉक्यूमेंट्री इंडियाः दी मोदी क्वेश्चन’ पर लगी रोक का विरोध किया गया है। साथ ही याचिकाकर्ताओं की तरफ से इसके बारे में किए गए ट्वीट को ट्विटर से हटाए जाने का मसला भी उठाया गया है। दूसरी याचिका वकील एम एल शर्मा की थी।

पहली याचिका की पैरवी के लिए वरिष्ठ वकील सी यू सिंह कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि सरकार ने आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर ट्विटर से याचिकाकर्ताओं के ट्वीट हटवा दिए. इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि उन्होंने इस बारे में हाई कोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल की थी। सीयू सिंह ने जवाब दिया आईटी रूल्स के जिन नियमों के तहत सरकार ने यह कार्रवाई की है, उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित है।

सी यू सिंह की दलील को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि वह केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर रहा है। अप्रैल में मामले की अगली सुनवाई होगी। वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि देशभर में लोगों को डॉक्यूमेंट्री देखने से रोका जा रहा है। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा की लोग अभी भी इस डॉक्यूमेंट्री देख ही रहे हैं।

जजों ने सुनवाई की अगली तारीख जल्द रखने से मना करते हुए कहा कि हम सबसे नजदीक की ही तारीख दे रहे हैं। केंद्र सरकार के जवाब को देखे बिना हम मामले में कोई आदेश नहीं जारी करना चाहते। केंद्र को जवाब के लिए 3 हफ्ते का समय दिया जा रहा है। इसके बाद अगले 2 हफ्ते में याचिकाकर्ता केंद्र के जवाब पर अपना उत्तर दे सकते हैं।

इसके बाद वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका को पहले मामले से अलग बताते हुए कहा कि वह सामान्य लोगों के लिए याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट में आए हैं। जबकि पहली याचिका में याचिकाकर्ता अपनी निजी शिकायत को कोर्ट के सामने रख रहे हैं। लेकिन जजों ने इस याचिका को अलग से सुनने से मना करते हुए कहा कि आपकी याचिका को भी अप्रैल में ही सुना जाएगा। इस पर भी केंद्र को नोटिस जारी किया जा रहा है।

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