Lok Sabha speaker: कांग्रेस (congress) सांसद राहुल राहुल गांधी (rahul gandhi) ने बीते मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण (President speech) पर चर्चा में हिस्सा लिया था। राहुल गांधी ने उद्योगपति गौतम अदाणी (Industrialist Gautam Adani) और प्रधानमंत्री को लेकर सदन में तीखा हमला किया था। राहुल गांधी के भाषण के कुछ अंशों को लोकसभा स्पीकर के आदेश पर संसद के रेकॉड से हटा दिया गया है। राहुल गांधी ने अदाणी को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसमें असंसदीय भाषा (unparliamentary language) का इस्तेमाल किया गया था। लोगों के मन में सवाल उठता है कि संसद में दिए गए भाषण के अंश रेकॉर्ड से किस नियम के तहत हटाए जाते हैं।
स्पीकर विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हैं
लोकसभा में प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस के रूल 380 के तहत अगर स्पीकर को लगता है कि कोई भी सांसद अपने भाषण में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो मानहानिकारक या असंसदीय हैं। जिसे सार्वजनिक करना जनहित में नहीं है, तो अध्यक्ष अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए भाषण के उस अंश को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दे सकता है। आदेश के बाद ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाता है। रूल 381 के मुताबिक सदन की कार्रवाई के दौरान जो भाषण का अंश हटाना होता है। उसे मार्क किया जाएगा और कार्यवाही में एक फुटनोट इस तरह से डाला जाएगा। स्पीकर के आदेश पर इसे हटाया गया।
किसे कहते हैं असंसदीय भाषा
सदन कार्यवाही के दौरान कुछ नियम और स्टैंडर्ड अपनाती हैं। जिसमें कुछ शब्दों या फ्रेज का इस्तेमाल करना सदन में अनुचित माना जाता है। उन्हें ही असंसदीय भाषा कहते हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जिन शब्दों को असंसदीय भाषा की श्रेणी में रखा गया है उनमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, ख़ालिस्तानी और खून से खेती जैसे कई शब्द शामिल हैं। जिसका मतलब है कि अगर कोई सांसद भाषण के दौरान इन शब्दों का इस्तेमाल संसद में करता है, तो उसे सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।
असंसदीय शब्दों की डिक्शनरी
सदन में असंसदीय शब्दों को रिकॉर्ड से हटा देने की परंपरा लगभग 418 साल पुरानी है। इसकी शुरुआत ब्रिटेन से हुई थी। इंडियन एक्प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लिश, हिंदी और अन्य भाषाओं में ऐसे हजारों शब्द हैं, जो असंसदीय हैं। भारत में असंसदीय शब्दों की डिक्शनरी सबसे पहले साल 1954 में जारी की गई थी. इसके बाद इसे साल 1986, साल 1992, साल 1999, साल 2004, साल 2009 और 2010 में जारी किया गया। साल 2010 के बाद इसे हर साल जारी किया जाने लगा।
तस्वीर दिखाने वाले अंश भी हटाए गए
संसद में अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि अडानीजी और नरेंद्र मोदीजी, धन्यवाद। भाषण के दौरान राहुल ने सवाल उठाते हुए कहा था कि और सबसे जरूरी सवाल यह था कि इनका हिंदुस्तान के प्रधानमंत्रीजी के साथ क्या रिश्ता है। यह कैसा रिश्ता है, राहुल गांधी ने संदन में एक पुरानी तस्वीर भी दिखाई थी। उन्होने कहा कि फोटो देख लीजिए। ये फोटो तो पब्लिक में है, राहुल गांधी के भाषण के इस हिस्से को भी कार्यवाही से हटा दिया गया है।
नई सूची में यह शब्द शामिल
पिछले साल जुलाई में संसदीय भाषा संबंधी शब्दों की एक नई सूची जारी की गई थी। इसमें 62 ऐसे शब्द शामिल किए गए थे, जिन्हें असंसदीय करार दिया गया था। इस लिस्ट में जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, ’कोविड स्प्रेडर’ (कोरोना फैलाने वाला) और स्नूपगेट (जासूसी के संबंध में फोन पर हुई बातचीत को टेप करना), अशेम्ड (शर्मिंदा), अब्यूज्ड (दुर्व्यवहार), बिट्रेड (विश्वासघात), ’भ्रष्ट, ड्रामा (नाटक), हिपोक्रेसी (पाखंड) और ’इनकंपीटेंट (अक्षम)’ जैसे शब्दों को भी असंसदीय करार दिया गया था।