Bodies lying for 23 hours: यूपी के कानपुर देहात से एक दर्दनाक घटना प्रकाश में आई है। सोमवार को कब्जा हटवाने गई प्रशासनिक अधिकारियों के सामने मां-बेटी झोपड़ी में जिंदा जल गईं। पूरा प्रशासनिक अमला मूकदर्शक बना देखता रहा। मंगलवार को भी मां-बेटी का शव उसी झोपड़ी में राख के ढ़ेर में पड़े हुए हैं। एसपी, मांडलायुक्त समेत तमाम प्रशानिक ऑफसर पीड़ित परिवार और ग्रामीणों को समझाने में जुटा है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि पहले इस घटना में जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गांव बुलाया जाए।
एसडीएम समेत 10 नामजद-27 अज्ञात पर केस दर्ज
इस घटना के बाद ग्रामीण भड़क गए। ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को लाठी डंडे लेकर दौड़ा लिया। सभी अधिकारी अपने वाहनों को गांव में छोड़कर भाग गए। घटना स्थल पर कई थानों का फोर्स और पीएसी को भेजा गया। फोर्स के साथ अधिकारियों ने गांव के अंदर एंट्री की थी। सोमवार रातभर मंडलायुक्त राजशेखर मौजूद रहे। ग्रामीणों और पीड़ित परिवार को समझाते रहे। देररात मृतका के बेटे शिवम की तहरीर पर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल, कानूनगो, रूरा एसओ दिनेश कुमार, अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल, दीपक समेत 27 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
प्रशासन ने दर्ज कराया था मुकदमा
दिवंगत प्रमिला के बेटे शिवम दीक्षित तहरीर में लिखा कि इस जमीन पर हमारे बाबा निवास करते थे। 14 जनवरी को मैथा एसडीएम, लेखपाल व रूरा एसओ बुलडोजर लेकर बिना किसी सूचना के मकान गिराने आ गए। उस दिन कुछ निर्माण गिराया व 10 से 12 दिन का समय दिया गया कि इसे खुद गिरा लो। इसके बाद हम मवेशी संग कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां एडीएम प्रशासन ने सुनवाई नहीं की बल्कि बलवा का मुकदमा लिखवा दिया गया।
प्रशासनिक अधिकारियों पर गंभीर आरोप
इसके बाद सोमवार को यही लोग टीम लेकर आए और विपक्षी अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल, विशाल व बुलडोजर का चालक दीपक सुनियोजित तरीके से आए। परिवार घर में था लेकिन सूचित किए बना निर्माण गिराने लगे। आरोप है कि लेखपाल ने आग लगा दी और एसडीएम ने कहा कि आग लगा दो झोपड़ी में कोई बच न पाए। मुझे भी पीटा गया और एसओ व पुलिसकर्मियों ने आग में फेंकने की कोशिश की। आग से मेरी मां व बहन जलकर मर गईं जबकि पिता झुलस गए।