हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार वृद्धा अवस्था सम्मान भत्ता योजना की तर्ज पर उन परिवारों के लिए ‘लाडली सामाजिक सुरक्षा भत्ता योजना’ भी चला रही है, जिस परिवार में सिर्फ बेटी या बेटियां हैं..
खट्टर सरकार बेटियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए इस तरह से संवेदनशील है कि मौजूदा वित्त वर्ष में इस योजना के लिए दिए जाने वाली भत्ते की राशि और भी बढ़ा दी है। लाभार्थी परिवारों को 1 अप्रैल, 2023 से 2,750 रुपए महीने यह भत्ता दिया जा रहा है, जो कि पहले से 250 रुपए अधिक है।
‘लाडली सामाजिक सुरक्षा भत्ता’ के लाभार्थी
हरियाणा सरकार के सामाजिक न्याय विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 30 जुलाई, 2023 की सुबह 8 बजे तक ‘लाडली सामाजिक सुरक्षा भत्ता’ के लाभार्थियों की संख्या 36,600 हो चुकी है। वित्त वर्ष 2023-24 में हरियाणा सरकार ने इस योजना के लिए 113 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है, जो कि बीते वित्त वर्ष के मुकाबले 11 करोड़ रुपए अधिक है।
माता या पिता के 45वें जन्मदिन से नामांकन
इस योजना का लाभ देने के लिए बेटियों के माता या पिता का नामांकन उनके 45वें जन्मदिन से होता है, जो भी उम्र में बड़े हों; और यह भत्ता 15 वर्षों तक मिलता है, जबतक कि वे वृद्धा अवस्था सम्मान भत्ता के हकदार नहीं हो जाते, जो कि 60 वर्ष निर्धारित है।
2 लाख रुपए से कम सालाना आय वालों को लाभ
इस योजना का लाभ उन्हीं परिवारों को मिलता है, जिनकी सालाना आमदनी सभी स्रोतों से मिलाकर भी 2 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होती। दरअसल, हरियाणा में लिंगानुपात हमेशा से सरकारों के लिए चिंता की वजह रही है।
बेटियों को बोझ नहीं, गौरव बनाना चाहती है खट्टर सरकार
अगर बीते तीन वर्षों के आंकड़े देखें तो हरियाणा में लिंगानुपात 2020 में 922, 2021 में 914 और 2022 में यह 917 रहा है। जन्म के समय लिंगानुपात का निर्धारण 1000 लड़कों पर कितनी लड़कियां पैदा हुईं, इस आधार पर तय किया जाता है।
हरियाणा में बेटों के मुकाबले बेटियों की कम संख्या हमेशा से सरकारों के लिए चुनौती रही है। यही वजह है कि खट्टर सरकार ने बेटियों के माता-पिता की आर्थिक तौर पर ढाल बनने की हमेशा कोशिश की है, ताकि हरियाणा की बेटियां परिवार पर बोझ नहीं, बल्कि उसके लिए गौरव बन जाएं।
हरियाणा में ‘लाडली सामाजिक सुरक्षा भत्ता’ योजना लिंगानुपात बढ़ाने और ‘बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना का भी आधार बन रही है। ‘लाडली सामाजिक सुरक्षा भत्ता’ योजना का मकसद कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाने और बेटियों के जन्म दर बढ़ाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक-शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाकर उन्हें समाज में समानता दिलाना है।
अगर सालाना के हिसाब से देखें तो हरियाणा सरकार एक बेटी के माता-पिता को 33,000 रुपए की सहायता उपलब्ध करा रही है। इस योजना का लाभ प्राथमिक तौर पर बेटी की माताओं को ही दिया जाता है, लेकिन उसके जीवित नहीं होने की स्थिति में पिता पात्र हो जाते हैं।