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हरियाणा सरकार ने शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और हर बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के लिए किए अभूतपूर्व कार्य : CM

चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए व्यक्ति निर्माण जरूरी है। क्योंकि व्यक्ति से समाज और समाज से देश बनता है। इसके लिए शिक्षा ही एक महत्वपूर्ण आधार है और हरियाणा सरकार ने राज्य में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और हर बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अभूतपूर्व कार्य किए हैं। राज्य में लगभग 14,000 विद्यालयों में सिविल कार्यों के साथ-साथ बच्चों के लिए डयूल डेस्क जैसी कई सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार ने लगभग 3500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्री की विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्कूल प्रबंधन समितियों के सदस्यों से संवाद किया।उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 14,000 विद्यालयों में सिविल कार्यों के साथ-साथ बच्चों के लिए डयूल डेस्क जैसी कई सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार ने लगभग 3500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि समितियों की ओर से बच्चों की पढ़ाई के लिए जो भी सुझाव, या मांग आएगी, उसे हम पूरा करेंगे। संवाद के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि एसएमसी को 2 से 6 माह तक शिक्षक रखने का अधिकार देने पर सरकार विचार कर रही है।

विस्तृत चर्चा के बाद इस संबंध में कुछ संशोधन करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 14,000 सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों की देखरेख के लिए स्कूल मैनेजमेंट समितियां बनाई गई हैं। चुने हुए प्रतिनिधियों व अभिभावकों को मिलाकर स्कूल प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है। जिस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 300 तक है, उसमें स्कूल प्रबंधन समिति के 12 सदस्य बनाए जाते हैं। 500 बच्चों तक के स्कूल में यह संख्या 16 और 500 से अधिक बच्चों के स्कूल में 20 होती है। इसके पीछे मूल भावना यह है कि समाज के सभी व्यक्ति अपने बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के लिए आगे आएं और स्कूल के विकास में अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी हो। उन्होंने कहा कि हमने स्कूल संचालन समितियों को सशक्त किया है और खरीद, निर्माण व संचालन के अधिकार दिए हैं। 25 लाख रुपये तक के निर्माण कार्यों को करवाने की शक्ति मिलने के बाद समितियों ने सिविल कार्यों को इतनी कुशलता से सम्पन्न करवाया कि इनमें 15 से 20 प्रतिशत की बचत हुई है। यही नहीं निर्माण सामग्री की गुणवत्ता तथा तैयार भवन की गुणवत्ता भी ठेकेदार द्वारा करवाये गये कार्यों से बेहतर है। इसी प्रकार, ड्यूल डेस्क की खरीद का कार्य भी समितियों ने सराहनीय ढंग से किया है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में छात्र-अध्यापक अनुपात को सुनिश्चित करने के लिए सरकार जल्द ही एमआईएस प्रणाली लेकर आ रही है । इसके तहत प्रत्येक विद्यालय में कितने बच्चे हैं, कितने अध्यापकों की आवश्यकता है, उसके अनुसार अध्यापक की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। अगर स्थायी नियुक्ति नहीं हो पाती तो अस्थायी तौर पर अध्यापकों की भर्ती कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के लगभग 47 से 48 लाख बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं। इनमें से 20-22 लाख सरकारी व इतने ही निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनके अलावा 3 से 5 लाख बच्चे ऐसे हैं, जो शायद अनरिकॉग्नाइज्ड स्कूल, गुरुकुल या मदरसों में पढ़ रहे हैं। कुछ बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं, इसलिए ड्रॉप आउट को कम करने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग को जिम्मेवारी सौंपी गई है कि हर बच्चे की ट्रैकिंग करें और हर बच्चे की पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार मानव संसाधन बनाना शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती है। आज का युग रिफॉर्म, प्रफोर्म और ट्रांसफॉर्म का युग है। शिक्षा के क्षेत्र में यह बात अधिक लागू होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी बात को ध्यान में रखते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। उन्होंने कहा था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम है। हमें ऐसे स्कूलों, ऐसे शिक्षकों की जरूरत है जो फन लर्निंग, प्लेफुल लर्निंग का वातावरण दें। सभी स्कूल संचालकों को स्कूलों में ऐसा ही वातावरण बनाने का काम करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वर्ष 2025 तक पूरी तरह लागू करने के लिए संकल्पबद्ध है। हालांकि इसको लागू करने की समयावधि 2030 तक है। लेकिन हमें इस लक्ष्य को पांच वर्ष पहले ही हासिल करना है और इसके लिए आपकी मदद की जरूरत है। इसमें शिक्षकों के अलावा माता-पिता व अभिभावकों के सहयोग की भी जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 12वीं तक के सभी सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें देने का प्रावधान किया है। समितियां पाठ्य-पुस्तकों, शिक्षण सामग्री, वर्दी एवं विभिन्न प्रोत्साहन राशियों का समय पर वितरण करवाएं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने ई-अधिगम कार्यक्रम के तहत प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को 5.50 लाख टैबलेट निःशुल्क दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि समितियां अध्यापकों की उपस्थिति एवं समय पालन के सम्बन्ध में अध्यापकों, माता-पिता और संरक्षकों के साथ नियमित बैठकें करते रहें। इसी प्रकार स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की उपस्थिति, शिक्षा ग्रहण करने की सामर्थ्य, पढ़ाई की प्रगति की जानकारी लेते रहें। इसके लिए शिक्षकों व अभिभावकों की संयुक्त बैठक कर सकते हैं। स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों की नियमित समीक्षा करें ताकि शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाया जा सके और यह भी सुनिश्चित करें कि आपके क्षेत्र के हर बच्चे का स्कूल में दाखिला हो और हर बच्चा स्कूल जाए। उन्होंने कहा कि पढाई बीच में छोड़ने वाले बच्चे को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उसकी अथवा उसके माता-पिता की कोई समस्या है तो सामुदायिक आधार पर उसका निराकरण करें। उन्होंने कहा कि स्कूल में दोपहर के भोजन की गुणवत्ता से बच्चों का स्वास्थ्य जुड़ा है, इसलिए दोपहर के भोजन पर निगरानी रखें। समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की जांच भी करवाएं। स्कूल में खेल के मैदान, चारदीवारी, कमरों, फर्नीचर, पेयजल, शौचालय आदि के रख-रखाव पर ध्यान दें।

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