पंजाब सरकार के अनुसार, इस साल हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। इसके परिणामस्वरूप, प्रदूषण का स्तर पिछले साल के मुकाबले अब कम है। पराली से पैसा कमाने के लिए कई पंजाब के किसान भी अब बड़े कदम उठा रहे हैं।
पंजाब में, किसानों को अक्सर धान की पुआल में आग लगाने की प्रथा के कारण प्रदूषण फैलाने के दोषी माना जाता है, लेकिन उनमें से कई ने इस समस्या का समाधान ढूँढ़कर बायोमास संयंत्रों और बॉयलरों के व्यवसाय में बदल दिया है। गुरदासपुर के किसान पलविंदर सिंह भी एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने पिछले साल पराली को गांठों में रूप देकर उसे व्यवसायिक उद्योगों को बेचने के लिए एक बेलर खरीदा था।
आपको बताते चलें कि बेलर एक कृषि मशीन है जो की ट्रैक्टर से जुड़ी होती है और खेत से पराली इकट्ठा करके उसे गांठों में बदल देने का काम करती है. और इस दौरान सहरी गांव के रहने वाले पलविंदर सिंह ने बताया कि पिछले साल हमने 1,400 टन पराली की आपूर्ति की थी और इस साल हम 3,000 टन पराली की आपूर्ति की उम्मीद कर रहे हैं.
इस बार जलाई गई कम पराली
आपको बता दें की पंजाब सरकार की तरफ से बीते गुरुवार को ही दावा किया गया था कि राज्य में पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामले कम सामने आए है तो दूसरी और हरियाणा सरकार ने नासा की एक सैटेलाइट तस्वीर जारी करते हुए दावा किया था कि पंजाब में हरियाणा से भी दोगने से ज्यादा पराली जलाने के मामले है.
पंजाब के बारे में एक दावा है कि पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामलों में कमी आई है, जो 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच हुई थी। पिछले साल, पंजाब में 5,798 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई थी, जबकि इस बार इस आंकड़े में 53 प्रतिशत की कमी है, और इस बार 2,704 मामले सामने आए हैं। दिल्ली सरकार भी पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी होने का दावा कर चुकी है।