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सुप्रीम कोर्ट पहुंची मान सरकार तो राज्यपाल का रुख पड़ा नरम, आज हो सकती है सुनवाई

राज्यपाल

28 फरवरी को सुनवाई के दौराण राज्यपाल द्वारा घोषित किया गया कि सत्र बुलाने की मंजूरी दी गई है। सुनवाई के दौराण सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि वह राज्यपाल के सवालों का उत्तर देने के लिए बाध्य है। 22 मार्च को बजट सत्र समाप्त होने के बाद सरकार ने सत्रावसान नहीं किया। इसके बाद सरकार ने दो बार सत्र बुलाया है।

पंजाब सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने के मामले में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है, और इस मामले की सुनवाई सोमवार को हो सकती है। याचिका दायर करने के बाद, राज्यपाल ने भी अपने दृष्टिकोण को नरम किया है। उन्होंने रविवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखकर बताया कि वह संबंधित व्यक्तियों से परामर्श कर रहे हैं और विधेयकों पर जल्द ही एक निर्णय लेंगे।

इससे पहले विधानसभा सत्र को असंविधानिक घोषित करने की भी बात हुई थी
प्रत्येक विधेयक पर मुख्यमंत्री को अलग से अपने निर्णय से सूचित करेंगे। यह बताने के लिए है कि राज्यपाल ने इससे पहले विधानसभा सत्र को असंविधानिक घोषित करने की बात की थी, और उन्होंने पारित विधेयकों को स्वीकृति नहीं देने की बात कही थी। अब राज्यपाल ने एक पत्र में कहा है कि विधानसभा द्वारा पारित 27 विधेयकों में से 22 पर पहले ही सहमति दे दी है।

विधानसभा द्वारा पारित किए गए पांच विधेयकों और राज्य सरकार द्वारा प्रेषित किए गए तीन विधेयकों को अब विचाराधीन किया जा रहा है। इससे पहले, मान सरकार ने 20 अक्टूबर से बुलाई गई दो-दिनीय विधानसभा अधिवेशन को एक दिन के लिए रद्द कर दिया था। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खोले जाने वाले तीन विधेयकों के पेशेवर मंजूरी के खिलाफ विरोध करेगी।

फरवरी में भी दायर की गई थी याचिका 
यह दूसरा मौका है जब पंजाब सरकार को कानूनी कारणों से सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा है। इससे पहले, फरवरी में सरकार ने बजट सत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, क्योंकि 21 फरवरी को पंजाब कैबिनेट ने बजट सत्र आयोजित करने का फैसला किया था, जिसकी अनुमति राज्यपाल ने नहीं दी थी।28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्यपाल द्वारा यह बताया गया था कि सत्र बुलाने की मंजूरी दी गई है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा था कि उन्हें राज्यपाल के सवालों का उत्तर देने के लिए बाध्य किया जाता है। 22 मार्च को बजट सत्र समाप्त होने के बाद, सरकार ने सत्रावसान नहीं किया। इसके बाद सरकार ने दो बार सत्र बुलाया है, जिसे बजट सत्र के विस्तार के तौर पर बयान किया जा रहा है।

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