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सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की हुई बैठक, इतनी योजनाओं को मिली स्वीकृति, जानें आगे क्या हुआ

सीएम मनोहर

सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य में सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की 55वीं बैठक आयोजित हुई।बता दें कि इस दौरान हरियाणा में बाढ़ नियंत्रण उपायों को और ज्यादा मजबूत करने के उद्देश्य से 604 नई बाढ़ नियंत्रण योजनाओं को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति भी दी गई। जिनमे से ज्यादातर योजनाएं मुख्य रूप से कृषि भूमि की सुरक्षा, आबादी की सुरक्षा, बाढ़ पानी निकासी की मशीनरी की खरीद, कृषि भूमि का सुधार, पानी का संरक्षण और पुनः उपयोग तथा नदी नालों के सुचारू प्रवाह के लिए संरचनाओं के नवीकरण या पुनर्निर्माण पर केंद्रित हैं।बताते चलें कि इसी बैठक में उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैाटाला और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे।

इन जिलों में बाढ़ योजनाओं को मिली स्वीकृति
सीएम मनोहर लाल ने अनुमति दी कि नयी बाढ़ योजनाओं के तहत निम्नलिखित जिलों के लिए योजनाएं तैयार की गई हैं: यमुनानगर (77), सोनीपत (42), झज्जर (67), रोहतक (36), अंबाला (53), कैथल (43), कुरूक्षेत्र (31), हिसार (16), चरखी दादरी (22), फतेहाबाद (27), करनाल (20), जींद (28), पानीपत (17), भिवानी (15), नूंह (18), महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद (5-5), पलवल (14), पंचकूला (42), सिरसा (10) और रेवाड़ी और गुरुग्राम (3-3)। बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने सभी जिला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए कि वे अपने जिलों के स्थानीय लोगों से बांध निर्माण के लिए मांग पत्र जमा करें। उन्होंने सुझाव दिया कि पंचायतों के द्वारा प्रस्ताव भी संबंधित मंडल आयुक्त के माध्यम से मुख्यालय में भेजे जाएं। नदियों और नालों से गाद निकालने के संदर्भ में, मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि एक निर्धारित गहराई का मानक स्थापित किया जाए, जिसके अनुसार गाद या रेत निकालने का काम किया जाए। गाद की गहराई निर्धारित स्तर से नीचे हो तो सिंचाई विभाग इसके लिए जिम्मेदार होगा, जबकि गाद का स्तर निर्धारित स्तर से ऊपर हो, तो खनन विभाग इसकी जिम्मेदारी लेगा।

साल में 2 बार हुआ करेगी हरियाणा राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक
सीएम मनोहर ने आगे यह भी सुझाव दिया कि मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ को रोकने के लिए नहरों या नालों में न्यूनतम जल प्रवाह क्षमता निर्धारित करनी चाहिए। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य इन जल निकायों में बाधाओं को कम करने और जल प्रवाह के प्रबंधन में सुधार करना है। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी बाढ़ नियंत्रण योजनाओं को शीघ्रता से लागू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जल संरक्षण को महत्वपूर्ण मानने और वर्षा जल के पुनः उपयोग के महत्व को भी बताया। इससे केवल बाढ़ के प्रबंधन को ही मजबूती मिलेगी ही बल्कि भूजल पुनर्भरण और सूखे क्षेत्रों में जल संसाधनों के योग्य उपयोग में भी सहायक होगा, जिससे स्थायी जल प्रबंधन की पहलों को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने किसी भी अधिक चुनौती को रोकने के लिए सक्रिय कदमों की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि बाढ़ से जीवन और संपत्ति दोनों को हो सकता है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, हरियाणा राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक अब हर साल दो बार बुलाई जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाढ़ से संबंधित सभी कार्यों को समय पर पूरा किया जा सके।

दीर्घकालिक समाधानों पर भी हुई लंबी चर्चा
उन्होंने कहा कि इस बैठक का मूल उद्देश्य है कि यह तीन महीने पहले से निर्धारित समय पर आयोजित की जा रही है, जो सरकार की त्वरित तैयारी और आपदा की रोकथाम के लिए प्रतिबद्धता को दोगुना करती है। सिंचाई और जल संसाधन विभाग के सलाहकार श्री देवेन्द्र सिंह ने हाल की बाढ़ की स्थिति के बारे में उपायों की जानकारी प्रदान की, जिसके अनुसार लगभग 680 गांवों में लगभग 1.95 लाख एकड़ भूमि बाढ़ के पानी से प्रभावित हुई है। विभाग इस मुद्दे के समाधान के लिए स्थायी और दीर्घकालिक समाधानों की पहचान करने और उन्हें लागू करने की दिशा में काम कर रहा है। संपत्ति और जीवन के हानि को कम करने के लिए, विभिन्न योजनाएं तैयार की गई हैं, जो मुख्य रूप से आवासीय क्षेत्रों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

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