पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच हुए विवाद के फैसले के संबंध में, आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट को आभार व्यक्त किया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने यह कहा है कि इस निर्णय से देश के संविधान और लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा से पास किए गए विधेयकों को रोके रखने से पंजाब को काफी हानि हो रही थी।
पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच हुए विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल को फटकार लगाने का निर्णय दिया है, जिसका जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया जारी की है। पार्टी ने इस निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट का कृतज्ञता व्यक्त किया है और कहा है कि यह निर्णय देश के संविधान और लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक होगा।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने यह बताया कि तीन करोड़ पंजाब वासियों ने राज्य के कामकाज से संबंधित निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार को चुना है, न कि राज्यपाल को। उन्होंने इस बारे में कहा कि संविधान जनता को उनके द्वारा चुने गए नेता को निर्णय लेने का अधिकार प्रदान करता है। इस मुद्दे में राज्यपाल के पास केवल सीमित अधिकार होते हैं, जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी स्वीकृति दी है।
आम आदमी पार्टी-लंबित बिलों से पंजाब को हुआ नुकसान
उन्होंने बताया कि पंजाब को राज्यपाल द्वारा सत्र को गैरकानूनी घोषित करने और विधानसभा से बिलों को लंबे समय तक रोके जाने के कारण कई नुकसान हुआ है। यह तरीका लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। कांग ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुसार, राज्यपाल विधान सभा द्वारा पारित किए गए विधेयकों पर अपनी सहमति दे सकते हैं, या उन्हें वापस विधानसभा स्पीकर के पास भेज सकते हैं, या फिर उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। विधेयकों के मामले में, राज्यपाल के पास इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं हैं।
कांग ने राज्यपाल से अपील की है कि वे अपने केंद्रीय नेतृत्व को खुश करने के लिए संविधान से बाहर जाकर कोई कार्य नहीं करें। उन्होंने लोकतंत्रिक व्यवस्था को सुरक्षित रखने और संविधानिक मर्यादा का पालन करने की अपील की है|
सुनील जाखड़-टाला जा सकता था विवाद
उसी समय, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच हो रहे विवाद को टाला जा सकता है। उन्होंने इसका तर्क दिया कि आम आदमी पार्टी की राजनीति में शामिल है कि वह खुद को पीड़ित बताए। पहले मुख्यमंत्री की ओर से राज्यपाल को उकसाने की कोशिश की गई। इस परिस्थिति की शुरुआत तब हुई थी जब राज्यपाल ने सामने आकर सरकार के सवालों का जवाब देना शुरू किया।