पंजाब में पांच जिलों में नगर निगम के लिए चुनाव का आलान जल्द हो सकता है, और इसकी तैयारी के लिए राज्य चुनाव आयोग ने कदम उठा लिए हैं। आम माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। इसका मतलब है कि पंजाब सरकार की संभावना है कि वह 39 नगर काउंसिल और नगर पंचायतों के चुनाव अलग-अलग तारीखों पर आयोजित कर सकती है।
पंजाब में किसी भी समय 5 नगर निगम चुनाव का ऐलान हो सकता है। राज्य चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी कर ली है। आगामी सप्ताह में, आयोग किसी भी समय लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, फगवाड़ा, और पटियाला नगर निगमों के चुनाव की घोषणा कर सकता है।
इस चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों को 3 दिसंबर को पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव के परिणाम का इंतजार करना होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि पंजाब सरकार ने नगर निगम और 39 नगर काउंसिल व नगर पंचायतों के चुनावों को एक साथ करवाने का निर्णय नहीं लिया है।
15 नवंबर 2023 तक, स्थानीय सरकार ने 5 नगर निगमों के चुनाव करवाने के लिए राज्य चुनाव कमीशन को अधिसूचना जारी की थी। उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार, आगामी सप्ताह में राज्य चुनाव कमीशन नगर निगम चुनाव करवाने के लिए एक अधिसूचना जारी कर सकती है।
नगर निगम और नगर काउंसिल दोनों के होंगे अलग-अलग चुनाव
सरकार ने इसकी मंजूरी भी दी है। जानकारी के अनुसार, चुनाव कमीशन नगर निगम और नगर काउंसिल के चुनाव एक साथ नहीं कराएगा, क्योंकि राज्य में 39 नगर काउंसिल और 27 नगर काउंसिलों के वार्डों में उपचुनाव होने हैं। स्थानीय सरकार ने 3 अगस्त 2023 को यहां चुनाव करवाने की मंजूरी दी थी। हालांकि, सरकार चुनाव में जाने के मूड में इतनी उत्साही नहीं दिखा रही है।
इसलिए पहले नगर निगम के चुनाव करवाए जाएंगे। वहीं, आम आदमी पार्टी ने भी इन चुनावों के मद्देनजर अपनी ताकत झोंक दी है। 18 नवंबर को होशियारपुर में होने वाली विकास क्रांति रैली भी पार्टी की इसी नीति का हिस्सा है। भले ही होशियारपुर में चुनाव नहीं होने हो लेकिन उसी के साथ लगते फगवाड़ा नगर निगम के चुनाव होने हैं। वहीं, होशियारपुर की रैली का असर फगवाड़ा और जालंधर पर भी पड़ेगा।
फगवाड़ा नगर निगम के लिए यह भी आवश्यक है क्योंकि 2022 में पंजाब के अनुसार चल रही चुनावी तूफान में, फगवाड़ा सीट से कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। इन 5 नगर निगमों के चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए बहुत आवश्यक माने जा रहे हैं। यह चुनाव स्थानीय स्तर का हो सकता है, लेकिन इसके परिणाम से आने वाले लोकसभा चुनावों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसी कारण किसी भी राजनीतिक दल ने इन चुनावों को हल्के में नहीं लिया है।