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3500 किलो बारूद से 9 सेकेंड में मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएगा नोएडा के ट्विन टावर, जानिए किसके कहने पर आजाद भारत में पहली बार 200 करोड़ की इमारत को किया जा रहा जमींदोज

नोएडा। देश के मीडिया हब के तौर पर पहचाने जाने वाला नोएडा शहर इनदिनों सूर्खियों में हैं। यहां के सेक्टर-93 में बनी सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 32 मंजिला ट्विन टावर के जमींदोज की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। रविवार की दोपहर करीब 2 बजे इन्हें 3500 किलो बारूद के जरिए ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके लिए पुलिस-प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है। आसपास के अन्य इमारतों को कपड़े से ढक दिया गया है। साथ ही इमारतों को भी खाली कराया गया है। बटन दबते ही 9 सेकेंड में 200 करोड़ से ज्यादा की लागत में बने टावर्स जमींदोज हो जाएंगे। इनको ढहाने के लिए करीब 20 करोड़ का खर्च आएगा।

आरडब्ल्यू की पहल लाई रंग
फ्लैट बायर्स ने 2009 में आरडब्ल्यू बनाया। इसी आरडब्ल्यू ने सुपरटेक के खिलाफ कानूनी लड़ाई की शुरुआत की। ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर आरडब्ल्यू ने पहले नोएडा अथॉरिटी मे गुहार लगाई। अथॉरिटी में कोई सुनवाई नहीं होने पर आरडब्ल्यू इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। 2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर तोड़ने का आदेश जारी किया। शुरुआती जांच में नोएडा अथॉरिटी के करीब 15 अधिकारी और कर्मचारी दोषी माने गए। इसके बाद एक हाई लेवल जांच कमेटी ने मामले की पूरी जांच की। इसकी जांच रिपोर्ट के बाद अथॉरिटी के 24 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त की तारीख की मुकरर्र
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में सात साल चली लड़ाई के बाद 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया। इसके बाद इस तारीख को आगे बढ़ाकर 22 मई 2022 कर दिया गया। हालांकि, समय सीमा में तैयारी पूरी नहीं हो पाने के कारण तारीख को फिर बढ़ा दी गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत 28 अगस्त को दोपहर ढाई बजे ट्विन टावर को गिरा दिया जाएगा।

नोएडा पुलिस-प्रशासन एक्टिव
सुपरटेक के ट्विंट टावर को गिराने को लेकर नोएडा पुलिस ने ट्रैफिक प्लान भी बना लिया है। नोएडा पुलिस की मानें तो दोनों टावरों से करीब 500 मीटर की दूरी तक सभी सड़कों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। इसके साथ ही जिस वक्त ट्विन टावर को ब्लास्ट के जरिए गिराया जाएगा, उस समय करीब 30 मिनट तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे को भी बंद रखा जाएगा। दोनों टावरों को गिराने के वक्त भारी पुलिस बल तैनात किया जाएगा ताकि सुरक्षा में किसी तरह की कोई चूक न हो। जानकारों की मानें तो जिस समय ब्लास्ट के जरिए दोनो ट्विन टावर को गिराया जाएगा, उस समय धूल का गुबार कई किलोमीटर दूर तक फैल सकता है। जिसके लिए प्रशासन ने खास तैयारी भी कर रखी है। आपको बता दें कि दोनों टावरों में करीब 3500 किलो बारूद लगाया गया है, जिसके जरिए दोनों टावरों को ध्वस्त किया जाएगा।

ऐसे शुरू हुआ निर्माण
23 नंवबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली। दो साल बाद 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संसोधन कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी ने संसोधन करके सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी। इसके बाद अथॉरिटी ने टावर बनने की संख्या में भी इजाफा कर दिया। पहले 14 टावर बनने थे, जिन्हें बढ़ाकर पहले 15 फिर इन्हें 16 कर दिया गया।

फिर 40 मंजिल निर्माण की मिली अनुमति
2009 में इसमें फिर से इजाफा किया गया। 26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने फिर से 17 टावर बनाने का नक्शा पास कर दिया। दो मार्च 2012 को टावर 16 और 17 के लिए एफआर में फिर बदलाव किया। इस संशोधन के बाद इन दोनों टावर को 40 मंजिल तक करने की अनुमति मिल गई। इसकी ऊंचाई 121 मीटर तय की गई। दोनों टावर के बीच की दूरी महज नौ मीटर रखी गई। जबकि, नियम के मुताबिक दो टावरों के बीच की ये दूरी कम से कम 16 मीटर होनी चाहिए।

32 और 29 मंजिल का निर्माण कार्य पूरा
अनुमति मिलने के बाद सुपरटेक समूह ने एक टावर में 32 मंजिल तक जबकि, दूसरे में 29 मंजिल तक का निर्माण भी पूरा कर दिया। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और ऐसा पहुंचा कि टावर बनाने में हुए भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलती गईं। ऐसी खुलीं की आज इन टावरों को जमींदोज करने की नौबत आ गई। 28 अगस्त को करीब 200 करोड़ की लागत बने टॉवर ढहा दिए जाएंगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि, कोर्ट का ये फैसला बिल्डर्स के लिए मिशाल बनने जा रहा है। अब कोई दूसरा करप्शन के बल पर ऐसा कार्य करने से पहले सौ बार सोंचेगा।

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