शिक्षामंत्री ने छात्रों से पूछा कि कितने लोग साइंटिस्ट बनाना चाहते है। इस पर तीन विद्यार्थियों ने हाथ खड़ा किया। शिक्षांत्री ने पूछा कि जब उनका प्रोजेक्ट लांच होगा तो क्या उन्हें बुलाएंगे, इस पर विद्यार्थियों का जवाब था कि जरूर बुलाएंगे..
मामा दूर के पुए पकाएं पूरके… बचपन में यह लोरी सुनने वाले पंजाब के स्कूल ऑफ एमिनेंस के 40 विद्यार्थी शुक्रवार को चंद्रयान-तीन के प्रक्षेपण के गवाह बने तो उनके चेहरे चांद की तरह खिल उठे। विद्यार्थियों का कहना है जैसे ही चंद्रयान का काउंटडाउन शुरू हुआ तो अंदर से एक आवाज आ रही थी कि ‘इंडिया इज द बेस्ट’। ये बातें खुद विद्यार्थियों ने शिक्षामंत्री हरजोत सिंह बैंस से साझा की।
शिक्षामंत्री ने कहा कि वह खुद भी पहली बार इस तरह के मिशन को लाइव देख रहे हैं। इस दौरान विद्यार्थियों का कहना था कि किताबों में तो वह बहुत बार इस बारे में पढ़ चुके हैं लेकिन प्रैक्टिकल इस तरह चीजों को समझने का यह पहला अवसर मिला है। शिक्षामंत्री ने चतुराई से उस मॉडल के बारे में पूछा, जिसके आगे विद्यार्थी खड़े थे।
शिक्षामंत्री ने विद्यार्थियों से पूछा कि जीएसएलवी और पीएसएलवी में क्या अंतर है? इस पर विद्यार्थियों ने बताया कि जीएसएलवी में ज्यादा वजन आकाश में भेजा जा सकता है जबकि पीएसएलवी में कम वजन जाता है। शिक्षामंत्री ने पूछा कि चंद्रयान -3 किस व्हिकल पर गया है, इस पर विद्यार्थियों जवाब था कि वह जीएसएलवी पर गया है।
शिक्षामंत्री ने पूछा कि कितने लोग साइंटिस्ट बनाना चाहते है। इस पर तीन विद्यार्थियों ने हाथ खड़ा किया। शिक्षांत्री ने पूछा कि जब उनका प्रोजेक्ट लांच होगा तो क्या उन्हें बुलाएंगे, इस पर विद्यार्थियों का जवाब था कि जरूर बुलाएंगे। फिर उन्होंने विद्यार्थियों से पूछा कि पहली बार जहाज का सफर कैसे लगा। विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें काफी कुछ नया जानने और सीखने का मौका मिला। जब विद्यार्थियों ने शिक्षामंत्री का धन्यवाद किया तो शिक्षामंत्री ने कहा कि यह उनका फर्ज था।