अस्तित्व न्यूज डेस्क। पूरी दूनिया की नजर इस वक्त यूक्रेन और रूस पर टिकी हैं। आएदिन परमाणु बम की धमकी के साथ मिसाइल और द्रोन से हमले कर लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। पर इन दो देशों से ज्यादा खतरनाक युद्ध अफ्रीकी देश इथियोपिया में पिछले दो वर्षों से लड़ा जा रहा है। यहां अब तक एक लाख महिलाओं से रेप के अलावा 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालात इतने बदतर हैं कि हजारों बच्चे भुखमरी से मर गए। 20 लाख लोग बेघर हो गए हैं।
अफ्रीकी देश इथियोपिया के टिग्रे प्रांत के अलगाववादी हाथों में हथियार लेकर संघीय सरकार खिलाफ बड़ी जंग लड़ रहे हैं। इथियोपिया का ये गृहयुद्ध नवंबर 2020 में शुरू हुआ था, जब संघीय सैन्य बलों ने अलगाववाद को दबाने के लिए टिग्रे प्रांत पर हमला किया था। टिग्रे समुदाय पर हमले के विरोध में अमेरिका में भी प्रोटेस्ट किए गए हैं। हालांकि, बड़े देशों का ध्यान अब भी इस जंग पर नहीं है। करीब 70 लाख की आबादी वाले टिग्रे में इस समय टेलीकॉम और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। इससे यहां के बदतर हालात की जानकारी बाहरी दुनिया तक नहीं पहुंच पा रही है। यहां की बिजली काट दी गई है और बैकिंग सेवाएं भी नहीं चल रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस जंग में करीब पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें संघीय सरकार के सैनिकों के अलावा अलगाववादी के हथियारबंद लड़ाकों के साथ आम नागरिक भी हैं। इसके अलावा एक लाख से ज्यादा महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया है। छोटी-छोटी बच्चियों को सेना के जवान घरों से अगवा कर उनके साथ रेप की वारदात को अंजाम देने के बाद उनकी हत्या कर रहे हैं। यहां से लोग बड़ी संख्या में भागकर पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं। अभी अमेरिका में रह रही टिग्रे मूल की फार्मेसिस्ट डॉ. मेबराहतू बताती हैं कि युद्ध शुरू होने के बाद से वे अपने परिवार से बड़ी मुश्किल से संपर्क कर पाती हैं। बैंक और इंटरनेट बंद होने से वे उन्हें पैसे भी नहीं भेज पा रही हैं।
मेबराहतू ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया है कि, मेरी दादी, मां, भाई, बहन सभी गांव में रहते हैं और मुझे नहीं पता है कि वे किस हाल में हैं। चार महीने पहले मेरा एक कजिन किसी तरह सीमा पार गया और मुझे फोन किया। उसने बताया कि मेरे दो भतीजों की भुखमरी से मौत हो गई है। इनमें से एक नवजात था। परिवार के 4 बुजुर्गों और पड़ोसियों को इरीट्रिया और इथियोपिया के सैनिकों ने मार दिया है। ये सभी पादरी थे। मेरे गांव टेमबियेन में बड़े पैमाने पर नरसंहार किया गया। उनका आरोप है कि, सेना के लड़कों ने गांव की महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया। मेबराहतू का कहना है कि, सेना ने इंटरनेट सेवा इसनिए बंद की है, जिससे उनकी ये घिनौती करतूत बाहरी दुनिया तक न पहुंच सके।
एक सोशल एक्टिविस्ट का आरोप है कि ये युद्ध नहीं, बल्कि पूरी टिग्रे नस्ल को खत्म करने की साजिश है। इथियोपिया की सेनाओं ने टिग्रे की चारों तरफ से घेराबंदी कर रखी है। दूसरी सीमा पर इरीट्रिया की सेना की घेराबंदी है। टिग्रे के लिए बाहरी दुनिया से संपर्क करना या रोजमर्रा का जरूरी सामान मंगाना मुश्किल हो गया है। इस वजह से टिग्रे में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। यूएन ने भी इस पर चिंता जाहिर की है। बेल्जियम की घेंट यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस युद्ध में 5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, टिग्रे युद्ध शुरू होने के बाद से करीब 20 लाख लोग अपने घरों से पलायन कर चुके हैं। हजारों लोग पड़ोसी देश साउथ सूडान भी भाग गए हैं। टिग्रे में 25 लाख से ज्यादा लोगों को तुरंत मदद की जरूरत है।
टिग्रे इथियोपिया का एक अहम प्रांत है। इसकी सीमाएं इरीट्रिया से लगी हैं। टिग्रे युद्ध में इरीट्रिया की सेनाएं इथियोपिया की तरफ से लड़ रही हैं। वह टिग्रे पर अपनी सीमा की तरफ से लगातार हमले कर रही है। इथियोपिया और इरीट्रिया ड्रोन और लड़ाकू विमानों से लगातार टिग्रे की राजधानी मेकेले पर बमबारी कर रहे हैं। मेकेले का ज्यादातर हिस्सा तबाह हो गया है। मेबराहतू कहती हैं कि टिग्रे युद्ध पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया दुखद है। दुनिया जानबूझकर टिग्रे युद्ध को नजरअंदाज कर रही है और खामोश है। मेबराहतू बताती हैं, टिग्रे अलगाववादी भी प्रांत के हर शख्स को जबरदस्ती सेना में शामिल कर रहे हैं। टिग्रे कमांडर उन लोगों को भी जबरदस्ती हथियार थमा रहे हैं जो इनकार कर रहे हैं। विद्रोही कमांडरों के आदेश के बाद महिलाएं और बुजुर्ग भी जंग लड़ने के लिए मजबूर हैं।