कानपुर देहात। भारत की आत्मा गांव में बसती है, क्योंकि गांव हमारी आत्माओं में बसता है। आज जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो ग्रामीण भारत के लिए हमारे गांवों के लिए, हमारे सपने और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हमारे स्वाधीनता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने भारत की आजादी को भारत के गांव से जोड़कर देखते थे। ये बातें शुक्रवार को कानपुर देहात के परौंख गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहीं।
एक भारत श्रेष्ठ भारत का भी प्रतीक
प्रधानमंत्री ने कहा, मैंने गांव में भ्रमण के दौरान परौंख में कई आदर्श छवियों को महसूस किया। यहां सबसे पहले मुझे पथरी माता का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला। ये मंदिर इस गांव की अध्यात्मिक व धार्मिक छवि के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत का भी प्रतीक है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि, अब गांवों का तेजी से विकास हो रहा है। गांव में सड़कें, पेयजल, किसानों को पानी की व्यवस्था कराई जा रही है।
आप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा
प्रधानमंत्री ने कहा, भारत का गांव जहां आध्यात्म भी हो आदर्श भी हो। भारत का गांव यानी जहां परंपराएं और प्रगतिशीलता भी हो, संस्कार और सहकार भी हो, ममता और समता भी हो। आज आजादी के अमृतकाल में ऐसे ही गांवों का पुनर्गठन पुनर्जागरण करना हमारा कर्त्वय है। इसी संकल्प को लेकर देश गांव गरीब और किसान पंचायती लोकतंत्र के विभिन्न आयामों पर काम कर रहा है। आज भारत के गांवों में सबसे तेज गति सड़कें बन रही हैं और आप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा है।
राष्ट्रपति जी को प्रणाम करता हूं
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि, अतिथि देव भव के संस्कार के लिए राष्ट्रपति जी को प्रणाम करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा, परौंख की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं उसकी साक्षी दुनिया बन रही है। पद की मर्यादा से बाहर निकलकर उन्होंने मुझे हैरान कर दिया, वह मुझे हेलीपैड पर रिसीव करने आए, मैं बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। जब मैंने यह बात कही तो उन्होंने कहा कि मैं यहां अतिथि का सत्कार करने आया हूं, मैं गांव के नागरिक के रूप में स्वागत कर रहा हूं। अतिथि देवो भव के संस्कार किस तरह हमारी रगों में पहुंचे हैं उसका उत्तम उदाहरण राष्ट्रपति जी ने पेश किया। इसके लिए मैं राष्ट्रपति जी को प्रणाम करता हूं।
…तो वो नंगे पांव दौड़ते हुए जाते थे
प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे पता चला कि पांचवीं के बाद उनका दाखिला पांच-छह मील दूर स्कूल में करा दिया गया था तो वो नंगे पांव दौड़ते हुए जाते थे। ये दौड़ सेहत के लिए नहीं बल्कि इसलिए होती थी गर्मी की तपती धरती से पांव में छाले न पड़ें। पांचवीं में पढ़ने वाला बालक स्कूल के लिए तपती धरती पर नंगे पांव दौड़े जा रहा है, जीवन में ऐसा संघर्ष, ऐसी तपस्या जीवन में इंसान को इंसान बनने में बहुत मदद करती है। आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का अनुभव मेरे लिए सुखद स्मृति की तरह है।
मन को सुकून मिला और बहुत अच्छा लगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, परौंख आने का इंतजार कर रहा था, आज यहां आकर मन को सुकून मिला और बहुत अच्छा लगा। इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन देखा है और बड़े होने पर हर भारतीय का गौरव बनते भी देखा है। यहां आने से पहले राष्ट्रपति जी ने मुझसे गांव से जुड़ी कई यादें साझा कीं। प्रधानमंत्री ने कहा, राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को ग्राम को दे दिया था, जो आज ट्रेनिंग सेंटर बना है। परौंख विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा और देश के सामने ग्रामीण विकास का माडल पेश करेगा।
पथरी देवी मंदिर गए
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार दोपहर में मिलन केंद्र परौंख गांव, कानपुर देहात का दौरा किया। केंद्र राष्ट्रपति का पैतृक घर है, जिसे सार्वजनिक उपयोग के लिए दान कर दिया गया था और एक सामुदायिक केंद्र (मिलान केंद्र) में परिवर्तित किया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ पथरी देवी मंदिर गए। पूजा-अर्चना के बाद दोनों पैदल ही गांव की गलियों की तरफ चल पड़े।