अहमदाबाद। 2014 से पहले गुजरात के ही रहने वाले अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू किया। राजनेताओं ने करप्शन रूपी राक्षस के खात्में के बड़े-बड़े वादे किए। जनता ने केंद्र में सरकार बदल दी और नरेंद्र मोदी के हाथों में देश की बागडोर सौंप दी। लेकिन हालात जस के तस आज भी बने हुए हैं। पैसे के आगे अब भी जान की कीमत कम पड़ रही है और इसका जीता जागता उदाहरण पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सामने आया। यहां के मोरबी में मच्छु नदी पर बना झूलता ब्रिज टूट गया और 134 से ज्यादा लोगों की लाशें पानी में तैरने लगी। मरने वालों में 23 बच्चे व 36 महिलाएं शामिल हैं। पुल की क्षमता सौ से सवा सौ लोगों की थी लेकिन हादसे के वक्त इस पर 400 से अधिक लोग मौजूद थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि, करप्शन के चलते लोगों की जान गई है। ऐसे में हम देश के पीएम मोदी से मांग करते हैं कि, इसके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करें, जिससे की कोई दूसरा मोरबी न बन पाए।
क्या है पूरा मामला
अहमदाबाद से करीब 200 किमी दूर मोरबी शहर में मच्छु नदी पर बने 143 साल पुराने झूलते केबल ब्रिज को गत 25 अक्टूबर को करीब 7 माह तक मरम्मत के बाद , गुजराती नववर्ष के एक दिन पहले ही खोला गया था। मोरबी नगर पालिका ने स्थानीय ओरेवा कंपनी के साथ इस पुल की मरम्मत कर संचालन का समझौता किया था लेकिन प्रशासन से जरुरी मंजूरी व फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना ही ओरेवा के मालिक जयसुख भाई पटेल ने अपनी पौती से उद्घाटन करा लिया। रविवार को पुल पर 500 सौ से ज्यदा लोगों से पैसे लेकर उनकी एंट्री करा दी गई। जिससे पुल गिरकर टूट गया और नदी के पानी में लोग डूबने लगे। स्थानीय लोगों ने सैकड़ों लोगों को पानी से बाहर निकाला। इसबीच करीब 134 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। पूरे मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुल संचालन करने वाली ओरेवा कंपनी के मालिक भूमिगत हैं।
ओरेवा समूह को दी गई थी जिम्मेदारी
करीब 142 साल पुराने इस ब्रिज को इंजीनियरिंग का चमत्कार कहे जाने वाले इस पुल का निर्माण राजा वाघजी रावजी ने 1879 में कराया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन बॉम्बे स्टेट के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह पुल 765 फुट लंबा और 4 फुट चैड़ा था। पुल का निर्माण दरबारगढ पैलेस को नजर बाग पैलेस से जोडने के लिए कराया था। मोरबी नगर पालिका ने दीवार घडी बनाने वाली कंपनी अजंता मैनुफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड ओरेवा समूह को मार्च 2022 में इसकी मरम्मत कर संचालन की जिम्मेदारी 25 वर्ष के लिए सौंपी थी। बताया जा रहा है कि ओरेवा कंपनी ने जिंदल समूह को 8 करोड रुपए देकर इसकी मरम्मत कराई थी, 25 साल की गारंटी वाला ब्रिज 5दिन भी नहीं चल पाया और धराशाई हो गया। बताया जा रहा है कि, टिकट दर बच्चों के लिए 10 रुपए व वयस्कों के लिए 15 रुपण् तय की गई लेकिन संचालक 12 व 17 रुपए वसूल रहे थे।
हर गली व मोहल्ले में मातम पसरा
हादसे के कारण मोरबी की हर गली व मोहल्ले में मातम पसरा है, शहर के श्मशान में शवों की कतारें लगी हैं। कई परिवारों कुलदीपक बुझ गये वहीं कुछ परिवार ही खत्म हो गये। कई मासूम बच्चों ने नदी निकालकर बाहर लाते लाते बचावकर्मियों के हाथों में दम तोड दिया। प्रत्यक्षदर्शी एवं पूर्व विधायक कांतिलाल अम्रतिया वहां से गुजर रहे थे, जब नदी पर उन्हें पुल नजर नहीं आया तो वे नदी की ओर भागे। उन्होंने ही जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को इसकी जानकारी दी। कांतिलाल बताते हैं कि अपने मित्रों के कपडों से रस्सा बनाकर उन्होंने लोगों को बाहर निकाला। देर शाम तक अपने मित्रों की मदद से सौ से अधिक लोग व दर्जनों शवों को बाहर निकाला। सांसद मोहन लाल कुंडारिया के 12 रिश्तेदार भी इस हादसे के शिकार हो गये। कुंडारिया राजकोट से लोकसभा सदस्य हैं तथा मोरबी के रावपर अवेन्यु पार्क में रहते हैं।
पीएम मोदी ने मुआवजे का किया ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोमवार को होने वाला बीजेपी का पेज समिति सम्मेलन को रद्द कर दिया गया। मोदी मंगलवार को मोरबी पीड़ित परिवारों से मिलने जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने पुल दुर्घटना में मारे गये व्यक्ति के परिजनों को केंद्र की ओर से 2 -2 लाख रुपए तथा घायलों को 50-50 हजार रु के मुआवजे की घोषणा की। राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने म्रतकों को 4-4 लाख रुपण् तथा घायलों को 50-50 हजार रुपए के मुआवजे की घोषणा की है। वहीं मोरबी केबल ब्रिज दुर्घटना की जांच के लिए सरकार ने पांच वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी गठित की है। इसमें महानगर पालिका प्रशासन आयुक्त राजकुमार बेनीवाल, चीफ इंजीनियर के एम पटेल, एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर गोपाल टांक, मार्ग एवं मकान विभाग के सचिव संदीप वसावा तथा सीआईडी क्राइम के आईजी सुभाष त्रिवेदी शामिल हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सरकार पर लगाए आरोप
मोरबी पहुंचे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्थानीय विधायक एवं राज्य सरकार में मंत्री ब्रजेश मेरजा को आडे हाथ लिया। मेरजा वर्तमान सरकार में श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री हैं। वे कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे, इसलिए दिग्विजय ने कहा कि कितने रुपए लेकर भाजपा में शामिल हुए थे, इस हादसे के बाद इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने एसआईटी को लीपापोती बताया तथा प्रधानमंत्री मोदी पर सरकारी कार्यक्रम जारी रखने पर निशाना साधा। बिना मंजूरी ब्रिज शुरु करने के लिए कलक्टर जी टी पंड्या व एसपी राहुल त्रिपाठी पर भी सवाल उठाए।