सरकार प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए भले ही प्रतिदिन नए प्रयास कर रही हो। कायाकल्प के माध्यम से स्कूलों को अच्छा बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। इसके पीछे सरकारी शिक्षकों से शिक्षा के अलावा सरकारी काम कराए जा रहे हैं। जिसमें मिड डे मील, वोटर लिस्ट, जनगणना, जिससे शिक्षकों में भी शिक्षा के प्रति बहुत रूचि नहीं रह जाती है। यही सरकारी कार्य शिक्षकों के लिए बहाने का कारण बनते हैं।
शिक्षकों का एक तबका ऐसा भी है जो बिना सरकार की सहायता के प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार करने की चिंता कर रहा है। शैक्षिक संवाद मंच शिक्षकों का एक ऐसा ही संगठन है, जो शिक्षा को गंभीरता से ले रहा है। स्कूलों को आनंद घर बनाने की बात कर रहा है। उत्तर प्रदेश शैक्षिक संवाद मंच शिक्षा को बेहतर बनाने वाले या शिक्षा में रुचि रखने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षित कर प्राथमिक शिक्षक के स्तर को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। जिससे स्कूल में छात्रों को आनंद पूर्वक शिक्षा दी जा सके और विद्यालयों को आनंद घर बनाया जा सकें।
बांदा जिले के शिक्षक प्रमोद दीक्षित मलय ने आज से 12 वर्ष पहले ऐसी संकल्पना की थी। उस संकल्पना को साकार करने के लिए उत्तर प्रदेश शैक्षिक संवाद मंच का गठन किया था। इस मंच के माध्यम से रचनात्मक दृष्टिकोण रखने वाले शिक्षकों को जोड़कर शिक्षा के स्तर में सुधार लाने का प्रयास शुरू किया था। जिसमें उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि देशभर के शिक्षक जुड़ते चले गए। प्राथमिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के प्रयत्न में भी जुट गए हैं।
अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान रानीपुर भट्ट में 3 और 4 जनवरी 2023 को उत्तर प्रदेश शैक्षिक संवाद मंच के बैनर तले 40 शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर रखा गया था। जिसमें विद्यालय को आनंद घर कैसे बनाना है और प्राथमिक शिक्षा के स्तर को कैसे सुधारना है। इस पर कई सत्रों में चर्चा की गई साथी उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं को सम्मानित भी किया गया है। वरिष्ठ समाजसेवी गोपाल भाई के मार्गदर्शन में शिक्षक शिक्षिकाओं को किया गया है। जिसमें अपनी संस्कृति परंपराओं और नैतिक शिक्षा के साथ बच्चों में महत्वपूर्ण शिक्षा देने पर चर्चा की गई।