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कानपुर से अटल बिहारी का था ये खास रिश्ता, पुण्यतिथि पर पीएम ने दी श्रद्धांजलि

कानपुर। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौथी पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि पर पीएम नरेंद्र मोदी, होम मिनिस्टर अमित शाह समेत हर वर्ग के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म, उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें सदैव अटल स्मृति जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस मौके पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2009 में एक दौरा पड़ा था। इसके बाद वो बोलने में काफी हद तक अक्षम हो गए थे। 11 जून 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहां 16 अगस्त 2018 को उनकी मृत्यु हो गई।

कानपुर से खास कनेक्शन
कहा जाता है कि केंद्रीय स्तर पर राजनीति के लिए हर राजनेता को यूपी से होकर गुजरना पड़ता है। अटल बिहारी वाजपेयी का भी यूपी से खास लगाव था। यूपी की राजधानी से वे चुनाव लड़े, वहीं, कानपुर के डीएवी कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर ( हूंसपवत ) में हुआ था। उनके पिता ग्वालियर रियासत में शिक्षक थे। शिन्दे की छावनी में 25 दिसंबर 1924 को वाजपेयी जन्मे थे। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के मूल निवासी थे।

फर्स्ट क्लास में परास्नातक
वाजपेयी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने तभी से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। अटल विहारी पढ़ने में काफी तेज थे। उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने कानपुर से ही पिता के साथ स्स्ठ की पढ़ाई की।

  • राजनीतिक जीवन कैसा था?
  • अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे.
  • वह 1968 से 1973 तक जनसंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.
  • 1952 में वो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए.
  • इसके बाद 1957 में यूपी के बलरामपुर सीट से बतौर जनसंघ प्रत्याशी उन्होंने जीत हासिल की.
  • 1967 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना के बाद से बीस साल तक लगातार संसदीय दल के नेता रहे.
  • मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेश में भारत के साथ ही हिंदी की छवि बनाई.
  • 1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की.
  • इसके बाद 6 अप्रैल 1980 को बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी बने. वह दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए.
    1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन, संख्याबल नहीं होने के चलते यह सरकार महज 13 दिन में 1996 को गिर गई
  • 1998 में दोबारा पीएम बने, लेकिन, 13 महीने बाद 1999 की शुरुआत में उनके नेतृत्व वाली सरकार दोबारा गिर गई
  • 1999 में ही उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार बनी, जिसने सफलतापूर्वक पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, जो अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी

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