कानपुर। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर वाराणसी कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलीलें जज के सामने पेश की गईं। मंगलवार को मामले पर संभवता फैसला आ सकता है। कोर्ट-कचहरी और आरोप-प्रत्यारोप के बीच हम आपको मुगलशासक औरंगजेब के कई रहस्य और लोगों पर किए गए अत्याचारों से रूबरू करा रहे हैं। औरंगजेब ने कानपुर से सटे फतेहपुर जनपद की खजुहा ग्राम पंचायत में एक महल ( बागबादशाही )का निर्माण करवाया था। अपने दुश्मनों से खुद को बचाने के लिए उसने गांव में चार द्धार बनवाए थे। साथ ही बागबादशाही के अलावा एक सुरंग का निर्माण करवाया था। ग्रामीणों की मानें तो यह सुरंग कोलकाता से पेशावर तक है। इसके अलावा मुकलशासक ने यहीं से बैठकर काशी स्थित मंदिरों को गिराए जाने का हुक्म दिया था।
शाहशुजा को हरा दिया
ज्ञानवापी मामले पर मंगलवार को कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। इसबीच मुगलशासक औरंगजेब के बारे में लोग सोशल मीडिया में तर्क दे रहे हैं। इनसब के बीच अस्तित्व न्यूज आपको मुगलशासक की क्रूरता और मंदिरों के ढहाए जानें के साथ ही उसकी मिनी राजधानी के बारे में बताने जा रहा है। जानकार बताते हैं कि उस समय फतेहपुर समेत पूरे इलाके पर शाहजहां के बेटे शाहशुजा का राज था। औरंगजेब इसे हड़पने को इसको लेकर कई बार यहां पर आक्रमण किया, लेकिन वो हार गया। 5 जनवरी 1659 को औरंगजेब ने फिर से यहां पर आक्रमण किया और शाहशुजा को हरा दिया। इस विजय की खुशी में औरंगजेब ने यहां पर जश्न मनाया और इस बागबादशाही (मिनी राजधानी) का निर्माण करवाया।
बागबादशाही से बैठकर चलाता था सरकार
इस बागबादशाही में पूर्व की तरफ 3 मीटर ऊंचे चबूतरे में 2 बारादरी बनाई गई है। इनमें विशाल कमरे भी बनाए गए थे, जो बारादरी बनी थी उसके सामने एक सुंदर तालाब बनाया गया है। एक कुआं भी बनाया गया है, जोकि बागबादशाही के बीच में बना हुआ है। बागबादशाही के चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवारें और बुर्ज बनाए गए हैं। जानकारों की मानें तो इन्हीं बारादरी में औरंगजेब रहता था, जबकि बारादरी के सामने बाग था। लोगों ने बताया कि, दिल्ली से चलकर औरंगजेब सीधे खजुहा आता था और यहीं से बैठकर सरकार चलाता था। लोगों का कहना है कि काशी विश्वनाथ के अलावा आसपास के गांवों के सैकड़ों मंदिर औरंगजेब ने तुड़वा दिए थे। हजारों हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बना दिया था।
चहारदीवारी में तीन बड़े-बड़े कुएं बनावाए
औरंगजेब ने बागबादशाही के उत्तर की तरफ चहारदीवारी में तीन बड़े-बड़े कुएं बनावाए थे, जो कई हजार फीट गहरे हैं। ये कुएं आज भी यहां देखे जा सकते हैं। इनमें बड़ी-बड़ी जंजीरें पड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इन कुओं से बाग में पानी की आपूर्ति की जाती थी। यहां पर पश्चिम में एक विशाल गेट है, जबकि दूसरा गेट खजुआ गांव की तरफ है। इन गेट के ऊपर चढ़कर पूरे बागबादशाही का नजारा देखा जा सकता है। गांव के अंदर चारों तरफ दीवारें बनी हुई हैं और विशाल फाटक बनाए गए हैं। खजुहा-बिन्दकी रोड स्थित अभी भी दो फाटक मौजूद हैं।
सुरंग का करवाया था निर्माण
खजुहा में में एक रहस्यमयी सुरंग है। इसके बारे में कहा जाता है कि आजतक जो भी इसमें गया, लौटकर वापस नहीं आया। इस सुरंग को करीब 355 साल पहले औरंगजेब ने बनवाया था। स्थानीय लोगों की मानें तो सुरंग में अगर भूल से भी कोई अंदर गया तो कभी वापस नहीं आया। रमेश तिवारी ने बताया, एक बार गांव में शादी थी। बारात में आए काफी संख्या में लोग इस सुरंग को देखने के लिए अंदर गए, लेकिन वापस नहीं आए। खजुहा निवासी लालसिंह बताते हैं कि, ये सुरंग कोलकाता से पेशावर तक है। हालांकि, अब इसे बंद कर दिया गया है।
इस किताब में जिक्र
मंदिर को ढहाने की बात का जिक्र मासिर-ए-आलमगिरी में नजर आता है। औरंगजेब के शासन पर यह किताब साकी मुस्तैद खान ने लिखी थी। किताब में लिखा गया है, ’इस्लाम की स्थापना के लिए उत्सुक महामहिम ने सभी प्रांतों के गवर्नर को काफिरों के स्कूल और मंदिरों को गिराने और तत्काल इन काफिरों के धर्म के कामों और शिक्षा को खत्म करने के आदेश दिए। किताब के हवाले से लिखा गया है कि 2 सितंबर 1669 को बताया गया कि बादशाह के आदेश पर उनके अधिकारियों ने वाराणसी में विश्वनाथ के मंदिर को ढहा दिया। खजुहा निवासी असलम खान बताते हैं कि, उसी दौर में यहां भी मंदिरों को ढहाया गया। हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाया गया।