कानपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे की बागडोर दूसरी बार संभालते ही अपराधी, माफिया व जमीनों पर अवैध कब्जाधारियों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। बुधवार को बाबा का बुलडोजर कानपुर की सड़कों पर दौड़ा। प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के करीबी नेता विनोद प्रजापति के बर्रा इलाके में बने गेस्टहाउस को ढहा दिया। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान पीएसी के साथ भारी पुलिस फोर्स तैनात रहा।
शिवपाल यादव के करीबी व प्रसपा जिलाध्यक्ष विनोद प्रजापति ने बर्रा इलाके स्थित हाईवे के किनारे करीब दो हजार वर्म गज जमीन पर कब्जा कर लिया था। प्रसपा नेता ने जमीन पर गेस्टहाउस का निर्माण करवा लिया था। 20 वर्षों से प्रसपा नेता बिना रोकटोक के गेस्टहाउस का संचालन कर अपनी तिजोरी भर रहे थे। केडीए की तरफ से कई बार नोटिस भेजने के बाद भी जमीन खाली न करने पर ध्वस्तीकरण का आदेश जारी हो गया। केडीए के अधिकारी, पीएसी के अलावा तीन थानों की फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। केडीए के अफसर अपने साथ चार बुलडोजर लेकर गए थे। बुलडोजर ने प्रसपा नेता का गेस्टहाउस ढहा दिया।
केडीए के विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला ने बताया कि जूही कलां डब्ल्यू ब्लाक के प्लाट नंबर 744 और 744ए करीब दो हजार वर्ग गज की जमीन केडीए की है, जिसपर प्रसपा के जिलाध्यक्ष विनोद प्रजापति फर्जी दस्तावेज बना कब्जा कर दिव्यांशी गार्डन के नाम से गेस्ट हाउस चला रहा था। मामले में उसके खिलाफ केडीए में दो साल से फाइल चल रही थी। इस दौरान गेस्ट हाउस सील भी किया गया था, लेकिन विनोद प्रजापति सील तोड़कर फिर गेस्ट हाउस संचालन करने लगे थे। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। जमीन पर कब्जा करना, सील तोड़ने, नियमो का उल्लंघन करने पर कई बार नोटिस भेजी गई। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
विनोद प्रजापति पहले समाजवादी पार्टी का कानपुर ग्रामीण का जिलाध्यक्ष था। इसके बाद वह प्रसपा में शामिल होकर राजनीति में भी सक्रिय है। ध्वस्तीकरण कार्रवाई को लेकर विनोद प्रजापति ने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना बताया है। स्पष्टीकरण जारी करके विनोद प्रजापति ने कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद आदेश संख्या 54459/2009 दिनांक 15 अगस्त 2009 को जारी यथास्थिति का आदेश होने के बावजूद कनपुर विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्तीकरण गैरकानूनी है। प्रसपा नेता ने सीएम योगी से केडीए अफसरों पर विभागीय कार्रवाई की मांग की है। प्रसपा नेता का कहना है कि, माननीय उच्च न्यायालय का आदेश केडीए के विभागीय अधिकारी द्वारा फाड़ कर फेंक दिया गया है और कहा गया कि मुख्यमंत्री का आदेश है।