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भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ का तीन साल का कार्यकाल आज हुआ पूरा, मिशन 2024 तक अध्यक्ष बने रह सकते हैं ओपी धनखड़

भारतीय जनता पार्टी के संविधान के मुताबिक कोई भी अध्यक्ष तीन साल से ज्यादा समय तक नहीं रह सकता है, लेकिन पार्टी ने इस फॉर्मूले के इतर जाकर अध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ाया है। प्रदेश में पिछले अध्यक्ष सुभाष बराला का पांच साल कार्यकाल रहा था..

भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ का तीन साल का कार्यकाल आज पूरा हो रहा है। साल 2020 में उन्हें हरियाणा की कमान सौंपी गई थी। राज्य में संगठन के विस्तार में उनके कार्य को देखते हुए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनके सेवा विस्तार पर विचार कर रहा है। मिशन 2024 तक उनके कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है। अगले साल लोकसभा के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों को देखते हुए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को बदलने के मूड में नहीं है।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि धनखड़ के पक्ष में कई ऐसी बाते हैं, जो उनके अध्यक्ष बने रहने में बिल्कुल फिट बैठती हैं। उन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान संगठन का सबसे ज्यादा विस्तार किया है। अब तक लगभग ढाई लाख पन्ना प्रमुख बनाए हैं। 360 लोगों की प्रदेश कार्यकारिणी और 15 से अधिक नए प्रकोष्ठ बनाए।

संगठन के विस्तार में उन्होंने क्षेत्रीय संतुलन को भी अच्छी तरह से साधा हुआ है। ऐसे में पार्टी उनकी जगह किसी दूसरे को लाकर जोखिम नहीं लेना चाहती। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी हैं।

जातीय समीकरण के फार्मूले में हैं फिट 

धनखड़ संघ परिवार के पुराने कार्यकर्ता हैं और प्रदेश के जातीय समीकरण के फॉमूले पर भी फिट बैठते हैं। बीजेपी जातीय समीकरणों को लेकर काफी संवेदनशील रहती है। पार्टी की सोच है कि मुख्यमंत्री गैर जाट हैं तो प्रदेश अध्यक्ष जाट बिरादरी का होना चाहिए। धनखड़ भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह हरियाणा में किसानों की नब्ज अच्छी तरह से जानते हैं। मुख्यमंत्री के साथ भी उनका अच्छा मेल-जोल है। हाल ही में प्रदेश में हुई रैलियों का फीडबैक भी अच्छा गया है।

क्या कहता है पार्टी का संविधान

वैसे पार्टी के संविधान के मुताबिक कोई भी अध्यक्ष तीन साल से ज्यादा समय तक नहीं रह सकता है, लेकिन पार्टी ने इस फॉर्मूले के इतर जाकर अध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ाया है। प्रदेश में पिछले अध्यक्ष सुभाष बराला का पांच साल कार्यकाल रहा था। इसी तरह से नड्डा के कार्यकाल पर मुहर लगी थी। हालांकि पार्टी चुनाव से पहले अध्यक्ष बदलने को जोखिम भी पहले भी लेती रही है।

राजस्थान में इसी साल चुनाव होने हैं। पार्टी ने नौ महीने पहले पार्टी अध्यक्ष को बदल दिया। वहीं, ऐसा भी हुआ है कि पार्टी ने अध्यक्ष चुनाव के बाद बदले। यूपी में भाजपा की दोबारा योगी सरकार बनने के छह महीने के बाद प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए थे। हरियाणा में भाजपा के एक शीर्ष नेता कहते हैं कि चुनाव से पहले अध्यक्ष वहां बदले जाते हैं, जहां संगठन और सत्ता के बीच तालमेल नहीं होता। हरियाणा में इस तरह की कोई दिक्कत है नहीं।

सिर्फ धनखड़ ही नहीं बल्कि कई प्र्रदेश अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संगठन में अच्छे कार्य किए हैं। जब वे कृषि मंत्री थे, तब वह किसानों के लिए काफी रिफार्म लेकर आए। लेकिन अच्छा काम करने का मतलब यह नहीं होता है कि किसी का कार्यकाल बढ़ जाए। इसके लिए पार्टी समीकरणों को देखती है और उसके बाद शीर्ष नेतृत्व बैठकर पार्टी अध्यक्ष तय करती है। – बिप्लब कुमार देब, प्रदेश प्रभारी भाजपा

 

 

 

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