रायपुर। विवाद को जन्म देने वाली एक दुखद घटना में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के खुर्सीपार पुलिस थाना क्षेत्र में बेरहमी से पिटाई के बाद एक 32 वर्षीय व्यक्ति की जान चली गई। इस घटना के कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और सोमवार को दुर्ग और भिलाई दोनों शहर बंद रहे। इसे हत्या का मामला बताते हुए छत्तीसगढ़ सिख पंचायत ने विरोध में राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, दोनों शहरों में व्यावसायिक प्रतिष्ठान दोपहर तक बंद रहे। इस बीच यह घटना राजनीतिक युद्ध का मैदान भी बन गई है, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों शामिल हो गए हैं.
दुखद घटना और इसकी समयरेखा
पुलिस के मुताबिक, 15 और 16 सितंबर की रात दुर्ग जिले के खुर्सीपार थाना क्षेत्र के आईटीआई मैदान में कुछ लोगों के एक समूह ने मलकीत सिंह उर्फ वीरू के साथ कथित तौर पर मारपीट की थी. इस हमले के बाद पीड़ित को एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। हमले के पीछे का सटीक मकसद अभी तक निर्धारित नहीं हुआ है। हालांकि, पीड़ित के परिवार का आरोप है कि वह दोस्तों के साथ अपने मोबाइल फोन पर “गदर-2” फिल्म देख रहा था, तभी उसने भारत समर्थक नारे लगाए। इसके बाद ही उसकी बेरहमी से पिटाई की गई.
गिरफ़्तारी और हिरासत
इस अपराध के सिलसिले में शनिवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया गया और एक किशोर लड़के को हिरासत में लिया गया। घटना का पूरा विवरण उजागर करने और इसमें शामिल सभी लोगों की पहचान करने के लिए जांच जारी है।
पीड़िता की वर्तमान स्थिति
मृतक का शव अभी भी रायपुर के एक अस्पताल में है, क्योंकि पीड़ित के परिवार और समुदाय ने उनकी मांगें पूरी होने तक उसका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है। वे पीड़ित की विधवा के लिए सरकारी नौकरी और ₹20 लाख (2 मिलियन रुपये) के मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
दुर्ग कलेक्टर पुष्पेंद्र सिंह मीना ने कहा है कि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर, जिला प्रशासन ने मृतक के परिवार के एक सदस्य को ₹5 लाख (500,000 रुपये) की तत्काल सहायता की पेशकश की है और संविदा नौकरी (समन्वय) का प्रस्ताव दिया है। सरकार। हालाँकि, परिवार ने अभी तक इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है।
एक दुखद घटना जो सवाल खड़े करती है
छत्तीसगढ़ में हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से न केवल लोगों की जान चली गई, बल्कि हमले से जुड़ी परिस्थितियों पर भी महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो गए हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, इस मामले के राजनीतिक और सामाजिक दोनों पहलू तेजी से प्रमुख होते जा रहे हैं। इस विवाद के बीच पीड़ित के लिए न्याय की मांग के साथ-साथ उसके परिवार की उम्मीदें भी केंद्रीय मुद्दा बनी हुई है।