Bikeru scandal update: बिकरू कांड (Bikeru scanda) की आरोपी खुशी दुबे (khushi dubey) को सुप्रीम कोर्ट (suprim cort) से जमानत मिल चुकी है। जमानत मिलने के 11 दिन बाद भी उसकी रिहाई नहीं हो पाई है। खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित (Advocate Shivakant Dixit) का आरोप है कि पुलिस जमानतगीरों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही है। जिसकी वजह से खुशी की रिहाई नहीं हो पा रही है। उन्होने अपील की है कि इसे व्यक्तिगत नहीं ले, उस बच्ची पर रहम करें। मानवता के नाते उसकी रिहाई में मदद करें।
हिस्ट्रीशीटर विकास (vikas dubey) दुबे ने बीते 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया था। बिकरू कांड के पांचवे दिन एसटीएफ ने हमीरपुर जिले में खुशी दुबे के पति अमर दुबे (amar dubey) को एनकाउंटर में मार दिया था। वहीं कोर्ट ने भी माना था कि बिकरू कांड के दौरान खुशी नाबालिक थी। नाबालिग होने कि वजह से खुशी को बालसुधार गृह में रखा गया था। जब खुशी बालिग हो गई, तो उसे कानपुर देहात की माती जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।
डेढ़-डेढ़ लाख की दो जमानते दाखिल
खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से खुशी दुबे को बीते 4 जनवरी को जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने 6 जनवरी को डेढ़-डेढ़ लाख की जमानते दाखिल कर करने के निर्देश दिए थे। खुशी की बहन नेहा और पिता श्यामलाल तिवारी ने 09 जनवरी को दो जमानतें दाखिल कर दी थीं। इसके साथ ही किशोर न्याय बोर्ड में खुशी के भाई पूर्णेश और बहन नेहा ने 35-35 हजार की दो जमानतें दाखिल की गईं थीं। कोर्ट ने जमानतों के सत्यापन की रिपोर्ट पनकी और नौबस्ता थाने से मांगी थी।
डाक नहीं मिलने की बात कह कर टरकाया जा रहा है
शिवाकांत दीक्षित के मुताबिक खुशी के पिता और भाई पनकी थाना क्षेत्र में रहते हैं। जबकि बहन नौबस्ता थाना क्षेत्र में रहती है। कोर्ट ने पनकी और नौबस्ता थाने से सत्यापन की रिपोर्ट मांगी थी। खुशी के पिता और भाई जब थाने जाकर पूछते हैं कि खुशी के प्रपत्र आए हैं क्या। इस पर थाने से यह कहकर टरका दिया जाता है कि अभी डाक नहीं मिली है। जबकि डाक की ट्रैक रिपोर्ट बताती है कि 11 जनवरी को प्रपत्र थाने पहुंच चुके हैं।