कानपुर देहात। बिकरू कांड के मामले में एक और खुलासा सामने आया है। शुक्रवार को एंटी डकैती कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी तत्कालीन चौबेपुर एसओ विनय तिवारी ने खुद को निर्दोष बताते हुए प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर दोनों पक्षों की तरफ से बहस हुई। आरोपी के वकील ने कोर्ट को बताया कि, दबिश के वक्त एसओ पुलिसबल के साथ था। उसने मुठभेड़ पर फायरिंग भी की थी और घटना की रिपोर्ट थाना चौबेपुर में लिखाई थी। इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है। जबकि, अभियोजन ने बचाव पक्ष की दलीलों का इसका विरोध कहते हुए कहा कि बर्खास्त एसओ विनय तिवारी ने बर्खास्त एसआई केके शर्मा से दबिश की सूचना गैंगस्टर विकास दुबे तक भेजी थी। विकास दुबे को दबिश की सूचना देने के पर्याप्त सबूत कोर्ट में हैं। अब इस मामले की सुनवाई आठ जून को होगी।
क्या है पूरा मामला
2 जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने हथियारबंद साथियों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए विकास दुबे समेत छह अपराधियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इसके साथ ही गैंगस्टर के मददगारों पर पुलिस ने शिकंजा कसते हुए 36 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इन्हीं में से बर्खास्त एसओ विनय तिवारी और बर्खास्त एसआई केके शर्मा शामिल हैं।
अदालत को बताया कि आरोपी निर्दोष
बिकरू कांड के बाद आरोपी बनाए गए कई आरोपियों ने अपने को निर्दोष बताते हुए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। इस मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट सुधाकर राय की अदालत में चल रही है। शुक्रवार को थाना चौबेपुर के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी की तरफ से दिए गए निर्दोष होने के प्रार्थना पत्र पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता मिथलेश कुमार द्विवेदी ने अदालत को बताया कि आरोपी निर्दोष है। घटना के वक्त विनय तिवारी दबिश वाली टीम में मौजूद था। उसने मुठभेड़ पर फायरिंग भी की थी और घटना की रिपोर्ट थाना चौबेपुर में लिखाई थी। इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है।
केके शर्मा से विकास दुबे को पहुंचवाई थी सूचना
जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि आरोपी थानाध्यक्ष के पद पर नियुक्त होने के कारण दबिश की योजना से परिचित था। उसने अपने पद का गलत प्रयोग कर दबिश की सूचना एसआई केके शर्मा से विकास दुबे को पहुंचवाई थी। इस कारण सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। पत्रावली में आरोप तय करने के पर्याप्त साक्ष्य हैं तथा आरोपी के प्रार्थना पत्र को निरस्त करने की मांग की।