दिल्ली। पैगंबर मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी करने वाले नूपुर शर्मा और नवीन कुमार पर कार्रवाई के बाद बीजेपी एक्शन में दिख रही है। पार्टी ने धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले अपने 38 नेताओं की पहचान की है। पार्टी ने 27 चुने हुए नेताओं को गलत बयान देने से बचने की हिदायत दी है। साथ ही, टीवी डिबेट के अलावा अन्य प्लेटफार्म में धार्मिक मुद्दों पर बयान देने से पहले पार्टी से परमिशन लेनी होगी।
क्या है पूरा मामला
नूपुर शर्मा ने 26 मई को एक न्यूज चैनल में ज्ञानवापी मामले पर डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी की थी। जिसके बाद पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गए। मुस्लिम धर्मगुरू के अलावा नेता, बीजेपी प्रवक्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे जाने की मांग करने लगे। इनसब के बीच नूपुर शर्मा को लेकर कानपुर में हिंसा भड़क उठी। कई लोग घायल हो गए। विदेश में भी नूपुर शर्मा को लेकर महौल गर्म था। बीजेपी ने तत्काल नूपुर शर्मा व जिंदल को पार्टी से सस्पेंड कर दिया।
5,200 बयान गैर-जरूरी पाए गए
नूपुर शर्मा और नवीन कुमार पर कार्रवाई के बाद बीजेपी ने अपनी पार्टी के नेताओं के पिछले 8 साल (सितंबर 2014 से 3 मई 2022 तक) के बयानों को आईटी विशेषज्ञों की मदद से खंगाला। जिसमें करीब 5,200 बयान गैर-जरूरी पाए गए। 2,700 बयानों के शब्दों को संवेदनशील पाया गया। 38 नेताओं के बयानों को धार्मिक मान्यताओं को आहत करने वाली कैटेगरी में रखा गया। पार्टी ने 27 नेताओं को बिना इजाजद बयान देने पर रोक लगा दी है।
इन नेताओं के नाम शामिल
बीजेपी ने जिन नेताओं को गलत बयानबाजी करने से रोका है, उसमें प्रमुख रूप से अनंत कुमार हेगड़े, शोभा करंदलाजे, गिरिराज सिंह, तथागत राय, प्रताप सिम्हा, विनय कटियार, महेश शर्मा, टी. राजा सिंह, विक्रम सिंह सैनी, साक्षी महाराज, संगीत सोम शामिल हैं। सभी से कह दिया गया है कि धर्म को लेकर बयान न दें। इससे पार्टी की छवि पर खराब असर होता है। साथ ही देश में भी इसका असर होता है।