उत्तराखंडः उत्तराखंड के जोशीमठ नगर में उसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। जोशीमठ नगर अध्यात्मिक और सामरिक दृष्टी से अतिमहत्वपूर्ण है। जोशीमठ नगर धंस रहा है। भूस्खलन से यहां की जमीन खोखली होती जा रही है। जोशीमठ में सड़क, मकानों, होटलों में दरारे पड़ गई हैं। इन दरारों से पानी का रिसाव भी हो रहा है। पिछले एक हफ्ते में 559 भवनों में दरारें आ चुकी हैं। जिसकी वजह से लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। जोशीमठ के हालात देखकर उत्तराखंड सरकार के माथे पर पसीना आ रहा है।
नगर पालिका की रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। बद्रीनाथ हाइवे पर सिंहधार वार्ड में दो होटल तिरछे हो गए हैं। होटल के हालात देखकर आसपास के लोग भी दहशत में हैं। सड़को और पहाड़ो पर पड़ी दरारों से पानी का रिसाव हो रहा है। उत्तराखंड सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को अर्लट मोड पर रखा है।
जोशीमठ में बीते तीन दिन पहले 513 भवनों में दरारें आई थीं, जबकि सोमवार को यह संख्या 559 पहुंच गई है। ऐसे में तीन दिन में 46 मकानों में दरारें आ रही हैं। अधिक खतरे की जद में आए 16 परिवारों में से आठ ने मकान छोड़ दिए हैं। वहीं आठ अभी भी खतरे के साये में रहने के लिए मजबूर हैं।
इन वार्डों के भवनों में आईं दरारें
नगर पालिका की रिपोर्ट के अनुसार गांधीनगर वार्ड में 133, मारवाड़ी में 28, नृसिंह मंदिर के पास 24, सिंहधार में 50, मनोहर बाग में 68, सुनील में 27, परसारी में 50, रविग्राम में 153 और अपर बाजार वार्ड में 26, मकानों में दरारें आई हैं। नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि जहां भी धू-धंसाव की सूचना मिल रही है वहां तुरंत टीम को भेजकर निरीक्षण कराया जा रहा है।
अध्यामिक और सामरिक दृष्टी से है महत्वपूर्ण
जोशीमठ नगर आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली रहा है। शीतकाल में बदरीनाथ धाम से शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विराजमान होती है और यहां पर शीतकाल के दौरान गद्दी की पूजा की जाती है। जोशीमठ बदरीनाथ धाम और हेमकुंड की यात्रा का प्रमुख पड़ाव भी है। इसके अलावा चीन सीमा का यह अंतिम नगर है यहां सेना की ब्रिगेड व आईटीबीपी कैंप हैं।