लखनऊ। विपक्षियों को हर मोर्चे पर धराशाई करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए अब उनके मंत्रिमंडल के मंत्री ही बड़ा सिरदर्द बनते जा रहे हैं। दिल्ली दरबार भी आए दिन शिकायतों से अब परेशान हो चुका है। सबसे ज्यादा शिकायतें यूपी की ब्यूरोक्रेसी को लेकर आ रही हैं। योगी सरकार में ब्यूरोक्रेसी इतनी हावी हो गई है कि मंत्री उनके आगे घुटने टेकने को मजबूर हो हैं। जो मंत्री अधिकारियों के इशारे पर नहीं चल पा रहे उनके साथ ब्यूरोक्रेसी के टकराव की खबरें हर रोज सुर्खियां बन रही हैं। योगी सरकार के आधा दर्जन मंत्री इस वक्त जबरदस्त नाराज है और कभी भी बगावत कर सकते हैं।
क्या है पूरा मामला
पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग में मनमाने तरीके से ट्रांसफर पोस्टिंग की गई। आरोप लगे कि, राजधानी में बैठे बड़े स्तर के ब्यूरोकेट ने जिलों की कमान मुर्दो को थमा दी। जिसको लेकर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक खुलकर नाराजकी व्यक्त करते हुए जांच के आदेश दिए थे। कुछ इसी तरह का ‘खेला’ पीडब्ल्यूडी विभाग में सामने आया। जहां अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए। मामले की जानकारी होने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने जांच कराई और दोषी पाए जाने पर पांच अफसरों को सस्पेंड कर दिया। जिसको लेकर मंत्री जितिन प्रसाद के नाराज होने की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनीं। हलांकि मंत्री जितिन प्रसाद से नाराजकी की बात को खारिज कर योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। अब राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने इस्तीफा देने के साथ ही अमित शाह को पत्र लिखकर सनसनी मचा दी। जिसके बाद सरकार बैकफुट पर है।
डिप्टी सीएम का नाराज मंत्रियों की लिस्ट में पहला नाम
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक नाराज मंत्रियों की लिस्ट में पहला नंबर है। यूपी की ब्यूरोक्रेसी की शिकायत दिल्ली दरबार तक कर चुकी है। वह अपने महकमे में एसीएस अमित मोहन प्रसाद से परेशान है। बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य महकमे में हुए तबादलों पर सवाल उठाते हुए अमित मोहन प्रसाद से जवाब भी मांगा था। अमित मोहन योगी कैंप के उन चुनिंदा अधिकारियों में से एक हैं जिन पर सीएम योगी की खास कृपा है। पिछले 2 सालों से लगातार एसीएस अमित मोहन स्वास्थ्य महकमे में काबिज है, तमाम आरोपों के बाद तमाम शिकायतों के बाद भी अब तक अमित मोहन प्रसाद का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया। जिसकी वजह से बृजेश पाठक खासे नाराज है। बृजेश पाठक ने अब तक ताबड़तोड़ स्वास्थ्य महकमे में दौरे किए छापे मारे कई अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए, लेकिन आज तक कार्रवाई के नाम पर नतीजा शून्य ही रहा।
कांग्रेस से बीजेपी में आए जितिन भी बताए जा रहे नाराज
दूसरा नाम है जितिन प्रसाद का वह भी लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण से परेशान हैं। लोक निर्माण विभाग में हुए तबादलों में जमकर धांधली हुई आरोप के छींटे जितिन प्रसाद के ओएसडी पर भी आए। लेकिन जितिन प्रसाद यह शिकायत लेकर दिल्ली दरबार पहुंचे कि नरेंद्र भूषण ने तबादलों में खेल किया और आरोप उनके ऊपर डालने की कोशिश की गई। वह भी ब्यूरोक्रेसी की बेरुखी से परेशान है। हलांकि बुघवार को मंत्री जितिन प्रसाद मीडिया के सामने आए और नाराजकी की बात को गलत बताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की।
इन्होंने अमित शाह को पत्र लिख बयां किया दर्द
कुछ इसी तरह की कहानी दिनेश खटीक की भी थी। उन्होंने तो खुलकर कर गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख दिया और अपने महकमे की ब्यूरोक्रेसी पर ताबड़तोड़ हमले बोल दिए। उन्होंने तो ब्यूरोक्रेसी को दलित विरोधी भी बता दिया। दिनेश खटीक ने अपने लिखे पत्र में कहा कि महकमे के प्रमुख सचिव अनिल गर्ग उनका फोन तक नहीं उठाते हैं। विभागाध्यक्ष एके सिंह उनकी बात नहीं सुनते है और तो और दलित होने की वजह से उन्हें भाव नहीं देते हैं। दिनेश खटीक ने पत्र में लिखा कि, दलित होने के चलते अफसर उनका अपमान करते हैं। 100 दिन बीत जाने के बाद उन्हें काम नहीं मिला। मंत्री ने अफसरों पर भ्रष्टचार के आरोप भी लगाए हैं।
मंत्री नंदी भी अफसरों से खुश नहीं
योगी सरकार में ब्यूरोक्रेसी और मंत्रियों के बीच में कितना समन्वय है उसकी बानगी एक खबर से मिलती है। औद्योगिक विकास में एसीएस अरविंद कुमार ने गत 6 जुलाई को नोएडा थर्टी के प्रबंधक गौरव बंसल को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कर दिया था, लेकिन इसकी कोई भी जानकारी मंत्री नंद गोपाल नंदी को नहीं थी। नंदी के विभाग ने आज प्रेस नोट जारी करके गौरव बंसल के सस्पेंशन की पुष्टि कर दी। ऐसे में बैठे-बठाए मंत्री नंदी की किरकिरी हो गई 14 दिनों तक मंत्री जी को पता ही नहीं था कि नोएडा अथॉरिटी के प्रबंधक गौरव बंसल को सस्पेंड कर दिया गया। अब समन्वय का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा।
नाराज मंत्रियों की फेहरिस्त बेहद लंबी
सूत्र बताते हैं कि, नाराज मंत्रियों की फेहरिस्त बेहद लंबी है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद, केंद्रीय मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, राज्य मंत्री दिनेश खटीक, राज्य मंत्री बृजेश सिंह, राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह जैसे ना जाने कितने नाम है जो इस वक्त नाखुश बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री एके शर्मा का नाम भी उसी फेहरिस्त में है लेकिन वह भी खुलकर कुछ नहीं बोल रहे है। सूत्रों की मानें तो कई ऐसे विधायक भी हैं, जो अफसरों के कारण नाराज हैं। विधायकों का कहना है कि, जिलों में बैठे अफसर उनकी सुनते नहीं है। जिसका खामियाजा उन्हें जनता के सामने भुगतना पड़ रहा है।
दिल्ली दरबार सक्रिय
लगातार बेरुखी से नाराज मंत्रियों का पारा चढ़ता जा रहा है और यह बगावत में कभी भी तब्दील हो सकता है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि जानबूझकर के अधिकारियों को इतना ताकतवर बना दिया गया है कि वह मंत्रियों की सुनने को तैयार नहीं है। लेकिन दिल्ली की लड़ाई मिशन 2024 अब ज्यादा दूर नहीं है ऐसे में जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों की बगावत पार्टी के लिए मुसीबत का सबब भी बन सकती है। यही वजह है कि अब दिल्ली दरबार सक्रिय हो गया है और यूपी में चल रहे इस पूरे घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय नेतृत्व अब एक अहम बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में यूपी उठ रही बगावत की चिंगारी को थामने की रणनीति तैयार की जाएगी।