पंजाब सरकार द्वारा विकास कार्यों की आड़ में फंड की बर्बादी रोकने के लिए नया तरीका अपनाया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार अब फंड की बर्बादी को रोकने के लिए डिजिटल तरीका अपनाया गया है, जिसके तहत वीडियोग्राफी के साथ सेंसर के जरिए सड़कों की पैमाइश की जा रही है..
यहां बताना उचित होगा कि नगर निगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा विकास कार्यों के हल्का वाइस 20 करोड़ देने का फैसला किया गया है। लेकिन इस बात पर भी फोकस किया जा रहा है कि बिना जरूरत वाले विकास कार्यों की आड़ में इस फंड की बर्बादी नहीं होनी चाहिए जिसके लिए डिजिटल तरीका अपनाया जा रहा है।
इसके तहत एक कंपनी की मदद ली गई है, जिसके द्वारा विकास कार्यों के लिए मार्क की गई साइट की वीडियोग्राफी की जा रही है, जिसके आधार पर फैसला किया जा सकता है कि साइट पर विकास कार्यों की जरूरत है या नहीं। इसके अलावा विकास कार्यों के बिल बनाने के नाम पर फर्जीवाड़ा होने की संभावना पर रोक लगाने के लिए उक्त कंपनी द्वारा सेंसर के जरिए सड़कों की पैमाइश भी की जा रही है, जिसका पक्का रिकॉर्ड बन जाएगा।
क्रॉस चेकिंग के लिए नगर निगम कमिश्नर द्वारा यह अपनाई जा रही है प्रक्रिया सरकार के अलावा नगर निगम कमिश्नर शेना अग्रवाल द्वारा भी विकास कार्यों की आड़ में फंड की बर्बादी रोकने के लिए कोशिश की जा रही है, जिसके तहत उन्होंने जोनल कमिश्नरों को फील्ड में उतर कर चेकिंग करने के लिए बोला है कि विकास कार्य पहले कब हुआ था और अब साइट पर नए सिरे से काम करवाने की जरूरत है या नहीं।
इसके अलावा बिल्डिंग ब्रांच से रिपोर्ट मांगी गई है कि जिस जगह पर विकास कार्य करवाने की सिफारिश की गई है वो जगह किसी अवैध कालोनी का हिस्सा तो नहीं और वहां पब्लिक स्ट्रीट डिक्लेयर है या नहीं।