दिनेश सिंह, गाजियाबाद
बसपा-सपा जिला अध्यक्ष पर नाबालिग बालिका से दुष्कर्म का मामला चर्चा में बना हुआ है। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर एसओजी टीम ने मिर्जापुर से सपा और बसपा जिलाध्यक्ष को धर दबोचा। सपा जिलाध्यक्ष तिलक यादव की गिरफ्तारी से पूर्वांचल की राजनीति गरमा गई है। एक और सपा- बसपा योगी सरकार पर दबाव बनाती है, लखीमपुर कांड, गोरखपुर मनीष गुप्ता कांड पर सरकार को घेरतें हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सपा-बसपा के जिम्मेदार पदों पर विराजमान चरित्र हीन नेता पार्टी की छवि को धूल घूसरित कर दे रहे हैं। आखिर एक नाबालिक के साथ दुष्कर्म मामले में फरार चल रहे सपा- बसपा के जिलाध्यक्ष समेत जूनियर इंजीनियर की गिरफ्तारी से इन पार्टियों की छवि कमजोर हुई है। दुष्कर्म मामले में मुकदमा दर्ज होने की खबर मिलने के बाद ही सपा व बसपा जिलाध्यक्ष दीपक अहिरवार और जूनियर इंजीनियर महेंद्र दुबे रणनीति बनाकर प्रयागराज, फिर प्लानिंग के तहत तिलक कार से प्रयागराज पहुंचा था दीपक और महेंद्र कार से भोपाल पहुंचे थे। भोपाल से उन दोनों फ्लाइट से प्रयागराज पहुंचे। यहां एक साथ तीनों मिले यहां अधिवक्ता से मिलकर प्रयागराज में एक होटल में पहुंचे। तभी जानकारी मिलने पर एसओजी टीम प्रयागराज आई इसके बाद तीनों मिर्जापुर की तरफ भागे लेकिन 1600 किलोमीटर पीछे करने के बाद आखिरकार एसओजी ने इन्हें धर दबोचा। अभी तक इस मामले पर कोई राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है लेकिन यह मुद्दा आगामी चुनाव में सपा और बसपा पर भारी पड़ेगा। इससे मतदाताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। जब जिस पार्टी के जिलाध्यक्ष अगर चरित्रहीन है उस पार्टी का नेतृत्व कैसा होगा, इस पर भी प्रश्न उठेंगे और इस पर सत्तासीन भाजपा भी अपनी राजनीतिक रोटियां जरूर सेकेंगी। बहरहाल तीनों आरोपी को ललितपुर लाया गया है जहां पर उनका मेडिकल कराया गया। इस किशोरी बलात्कार प्रकरण में 28 लोगों के विरुद्ध अभियोग दर्ज हुआ है जिसमें सपा जिलाध्यक्ष के भाई अरविंद यादव पहले ही गिरफ्तार करके जेल भेजे जा चुके हैं इससे बुंदेलखंड की राजनीति गरमा गई है। डीजीपी तक इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं एसओजी प्रभारी अंजनी कुमार सिंह के नेतृत्व में यह सारा अभियान चलाया गया। अभियुक्तों को चिकित्सीय परीक्षण के बाद उन्हें रिमांड मजिस्ट्रेट यज्ञेश सोनकर की अदालत में पेश किया गया। जहां से न्यायालय द्वारा तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इस प्रकरण पर बुंदेलखंड के स्थानीय नेताओं ने जो बयान दिया है वह काबिले गौर है कि एक तरफ सपा और बसपा की आंतरिक दूरियां काफी बढ़ गई है और ऐसे निकृष्ट कुकर्म पर जिला अध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठने वाले ये नेता जनता को दिखाने के लिए बेशक अलग दिखतें हों, लेकिन अंदर से दोनों दलों के चाल चरित्र एक सा है।जब विपक्ष में रहकर जनता की इज्जत लूट सकतें हैं तो जरा सोचें सत्ता मिलने पर कैसी सरकार होगीं। निचले स्तर पर सपा-बसपा के चाल चरित्र समान है दोनों पार्टियों के कार्य व्यवहार में कोई अंतर नहीं है।