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दिल्ली में फैला आई फ्लू, बच्चे सर्वाधिक हो रहे है शिकार, डॉक्टर का कहना- ‘फ्लू उतना घातक नहीं’

बाढ़ के बाद से लगातार राजधानी के लोग आई फ्लू की चपेट में हैं। बच्चे सर्वाधिक इसके संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। दिल्ली एम्स का कहना है कि फ्लू उतना घातक नहीं है। सात दिन में यह ठीक हो जा रहा है। इसलिए घबराए नहीं। आराम करें और डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयों का इस्तेमाल करें..

बाढ़ के बाद से लगातार राजधानी के लोग आई फ्लू की चपेट में हैं। बच्चे सर्वाधिक इसके संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली में फैल रहा फ्लू उतना घातक नहीं है। सात दिन में यह ठीक हो जा रहा है। इसलिए घबराए नहीं। आराम करें और डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयों का इस्तेमाल करें।

खतरनाक किस्म का नहीं है आई फ्लू

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र के प्रमुख डा. जेएस तितियाल ने कहा कि वर्तमान में फैल रहा आई फ्लू खतरनाक किस्म का नहीं है। इसके फैलने की दर काफी तेज है। मौसम भी इसका एक कारण हो सकता है। हमारे संस्थान में हर रोज 100 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। दिल्ली के हर इलाके से लोग आ रहे हैं।

इसलिए ऐसा नहीं है कि यह क्षेत्र विशेष में ही फैल रहा है। पूरी राजधानी में फ्लू फैल चुका है। छोटे बच्चों और एम्स के स्टाफ में आई फ्लू के लक्षण सर्वाधिक दिख रहे हैं। दर्द और पलकों में सूजन सामान्य तौर पर इस फ्लू में देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि हर मरीज को अस्पताल भागने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उतने खतरे की बात नहीं है। सात दिन आराम करें।

डॉक्टरों ने मरीजों की दी सलाह

आंख को साफ पानी से दिन में तीन से चार बार धोएं। बर्फ से सिकाई करें। काला चश्मा लगाकर रहें। इससे आराम मिलेगा। ठीक नहीं होते हैं तो अस्पताल जाएं, लेकिन अपनी मर्जी से दवा न लें। सेनेटाइजेशन बीमारी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए कमरों को सेनेटाइज करें। बार-बार हाथ धोएं। भ्रांति है कि आई फ्लू आंख में देखने से फैलता है।

ऐसा नहीं है यह छूने से फैलता है। इसलिए लोगों से हाथ मिलाने से परहेज करें। सफाई रखने से इसका फैलाव कम हो जाएगा। दूसरी ओर, एनकेएस अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. गौरी भूषण ने कहा कि ये हल्का आई फ्लू ही है। अधिकतर पहले एक आंख में ही देखा जा रहा है। एक से दो दिन में दूसरी आंख में इसका असर देखने को मिल रहा है।

बच्चे हो रहे ज्यादा शिकार

बच्चे इसके अधिक शिकार हो रहे हैं। इसलिए परेशानी होने पर उन्हें स्कूल न जानें दें। जिससे अन्य बच्चों में संक्रमण न फैले। क्योंकि बच्चे बड़ों की तरह एहतियात नहीं बरत सकते। अस्पताल की ओपीडी में 50 प्रतिशत मरीज आई फ्लू के हैं। इनमें बच्चों की संख्या अधिक है। कुछ लोगों में बुखार और गला खराब होने की समस्या भी देखी जा रही है।

 

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