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एक ‘महिला मस्साब’ कैसे चुनीं गईं एनडीए के राष्ट्रपति की उम्मीदवार, पीएम नरेंद्र मोदी ने इन बड़े नामों के बजाए द्रौपदी पर क्यों लगाया दांव

नई दिल्ली ।  कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! इस कहावत को बीजेपी ने फि चरितार्थ कर दिखाया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में चायवाले को प्रधानमत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया तो 2017 में दलित समाज से आने वाले कानपुर देहात के मूल निवासी रामनाथ कोविंद को रायसीना हिल्स पहुंचाया। अब राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की आदिवासी समाज से जुड़ी द्रौपदी मुमू प्रत्याशी होंगी। खुद प्रधानमंत्री ने एक महिला मस्साब के नाम पर मुहर लगाई, जिसे संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद सबने हामी भर दी।

बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था जन्म
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में हुआ। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडु है। वे आदिवासी जातीय समूह, संथाल से संबंध रखती हैं। द्रौपदी का बचपन गरीबी और अभावों के बीच बीता। उन्होंने कड़े परिक्षम के बल पर स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की संघर्ष करते हुए उन्होंने ऊंचाइयों को छुआ। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया।

ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के तौर पर भी सेवाएं दीं
पति और दोनों बेटों की मौत के बाद द्रोपदी ने घर चलाने और बेटी को पढ़ाने के लिए सिंचाई और बिजली विभाग में 1979 से 1983 तक जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुकी हैं। वर्ष 1994 से 1997 तक उन्होंरे रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीगरल एजुकेशन सेंटर में ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के तौर पर भी सेवाएं दीं। नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च चलाया और बेटी इति मुर्मू को पढ़ाया-लिखाया। बेटी ने भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली। इति मुर्मू इन दिनों रांची में रहती हैं और उनकी शादी झारखंड के गणेश से हो चुकी है। दोनों की एक बेटी आद्याश्री है।

1997 में राजनीति में एंट्री
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया.। उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनीं। वर्ष 2007 में द्रौपदी को ओडिशा विधानसभा के बेस्ट एमएलए ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा गया था।

मंत्री के साथ राज्यपाल भी रहीं
ओडिशा में बीजेडी और बीजेपी गठबंधन सरकार में द्रौपदी मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने मार्च 2000 से कई 2004 तक राज्य के वाणिज्य व परिवहन था मत्स्य और पशु संसाधन विकास विभाग के मंत्री का पद संभाला.। द्रौपदी मुर्म झारखंड की ऐसी पहली राज्यपाल थीं जिन्होंने वर्ष 2000 में इस राज्य के गठन के बाद पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने वर्ष 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्यपाल का पद संभाला। द्रौपदी मुर्म यदि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतती है (एनडीए के संख्या बल को देखते हुए जिसकी पूरी संभावना है) तो वे देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।

इनकों पीछे छोड़ आगे निकलीं द्रोपदी
राष्ट्रपति उम्मीदवार के पद पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के नाम की काफी चर्चा थी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके की नाम भी एनडीए की लिस्ट में था। आरिफ मोहम्मद खान और मुख्तार अब्बास नकवी के नाम पर भी चर्चा चल रही थीं। इसके अलावा उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में थे।

चुनाव का ये है पूरा कार्यक्रम
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी हो चुकी है। नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून है। नामांकन पत्रों की जांच 30 जून तक होगी। उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकेंगे। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा, जिसके नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण समारोह होगा। बतादें विपक्षी दलों की तरफ पूर्व वित्तमंत्री यसवंतज सिंहा को राष्ट्रपति के पद के तौर पर कैंडीडेट घोषित किया है। यजवंत सिंहा मूलरूप से बिहार से आते हैं और अटल जी की सरकार में मंत्री रहे हैं।

राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने मतदाता
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 229 राज्यसभा सांसद ही राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकेंगे। दूसरी ओर, लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उपचुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे। इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4033 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4809 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी। इन मतदाताओं के वोटों की कुल कीमत 10 लाख 79 हजार 206 होगी।

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