वाराणसी। काशी विश्वनाथ परिसर स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में एडवोकेट कमिश्नर समेत दोनों पक्षों के लोगों के बीच रविवार को दूसरे दिन भी सर्वे का काम हुआ। सर्वे के दौरान मस्जिद में वजूखाने के पास तालाब पर विवाद हो गया। हिंदू पक्ष ने तालाब का पानी निकालने की मांग की तो वहीं मस्जिद कमेटी ने पानी निकालने का विरोध किया। प्रशासन ने किसी तरह से दोनों पक्षों के लोगों को शांत कराया। फिलहाल सोमवार को भी सर्वे होगा।
एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा के साथ 52 लोगों की टीम ने रविवार की सुबह 8 बजे ज्ञानवापी मस्जिद में दाखिल हुई। हिंदू पक्ष के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुंबद की तरफ सर्वे के दौरान एक दीवार जिस पर हिन्दू परंपरा के आकार दिख रहे हैं, संगमरमर दिख रहा है, उसे सफेद चुने से रंग गया है। सर्वे की टीम ने इसकी वीडियोग्राफी की और प्रतीक चिन्ह का भी जिक्र किया, जिनसे उनकी बात को बल मिल रहा है। इससे पहले सर्वे के पहले दिन यानि शनिवार को ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर 5 तहखानों की वीडियोग्राफी की गई थी।
सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा करते हुए कहा था कि सभी साक्ष्य हमारे पक्ष में हैं। तहखानों में मूर्तियों के भग्नावशेष मिले हैं। हिंदू पक्ष ने कहा कि तहखाने में शरारती तत्वों ने मिट्टी भर दी थी उसे साफ किया गया है। लिंगायत समाज में काशी में लिंग दान का प्रचलन है, तहखाने में उस परम्परा के टूटे लिंग मिले हैं। हिन्दू पक्ष के वकीलों का कहना है कि कोर्ट के आदेश के तहत हमलोग कोई भी बात सार्वजनिक नहीं कर सकते। 17 मई को रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश कर दी जाएगी।
टीम ने आज दीवारों की बनावट से लेकर खंभों तक की वीडियोग्राफी की। सर्वे के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मस्जिद परिसर से बाहर निकले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने मीडिया से बताया कि आज पूरा सर्वे नहीं हो पाया। करीब डेढ़ से दो घंटे का काम बचा हुआ है, इसलिए सोमवार को भी काम जारी रहेगा। वकील विष्णु जैन ने कहा कि, आज सर्वे के दौरान टीम को जो सबूत मिले हैं, वे बहुत उत्साहवर्धक हैं। उन्होंने बताया कि वीडियो के डॉक्यूमेंटेशन की वजह से आज सर्वे के काम में देरी हुई है। वहीं, यूपी सरकार के वकील ने बताया कि सर्वे के काम से दोनों पक्षों के लोग संतुष्ट हैं।
दिल्ली निवासी राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की अनुमति देने और परिसर में स्थित विभिन्न विग्रहों की सुरक्षा का आदेश देने के आग्रह संबंधी याचिका दाखिल की थी। इस पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 26 अप्रैल को एक आदेश जारी कर ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराकर 10 मई तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। अदालत ने इसके लिए अजय मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। 6 मई को सर्वे की कार्यवाही शुरू हुई थी, जो हंगामे के कारण 7 मई को रुक गई थी। सर्वे करने पहुंचे कोर्ट कमिश्नर और वादी पक्ष का मुस्लिम पक्ष ने विरोध कर दिया था।
9 मई को मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और उन्हें हटाने की मांग भी की. इसी को लेकर कोर्ट में तीन दिन बहस चली और फिर गुरुवार को वाराणसी की एक अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र को हटाने संबंधी अर्जी को नामंजूर कर दिया। साथ ही विशाल सिंह को विशेष कोर्ट कमिश्नर और अजय प्रताप सिंह को सहायक कोर्ट कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। जिसके बाद से ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम शुरू हुआ। प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मस्जिद परिसर के करीब एक किलोमीटर के दायरे में 1500 से अधिक पुलिस और पीएसी के जवानों की तैनाती की गई है।