ऋतिक श्रीवास्तव बांदा
बुंदेलखंड के नसीब में सिर्फ लूटना लिखा है कभी खनन माफिया बुंदेलखंड को लूटते हैं तो कभी भूमि माफिया इन दिनों बुंदेलखंड के बांदा में लैंड माफियाओं की पौ बारह है , अवैध प्लाटिंग के नाम पर खरीदारों को जमकर लूटा जा रहा है और जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साध कर बैठे मंडलायुक्त के आदेश के बावजूद बांदा में भू माफिया खुलेआम योगी सरकार को चुनौती दे रहे है। पिछले डेढ़ दशक से बांदा में प्लॉटिंग के काम ने जोर पकड़ा तत्कालीन बीएसपी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बांदा में रिंग रोड से लेकर मेडिकल कॉलेज तक का निर्माण कराया और उसी के बाद रिंग रोड और मेडिकल कॉलेज के आसपास अवैध प्लाटिंग का धंधा जोर पकड़ने लगा , आज अवैध प्लाटिंग एक बड़ी चुनौती बन गई है इस चुनौती में कहीं ना कहीं बांदा विकास प्राधिकरण व उप निबंधन कार्यालय इन भू माफियाओं के साथ खड़ा नजर आ रहा है। बांदा में दो सैकड़ा से ज्यादा जगहों पर अवैध प्लाटिंग हो रही है। जिसमें करीब आधा सैकड़ा प्लाटिंग ग्रीनलैंड पर धड़ल्ले से हो रही है। बिना नक्शा पास किए भू माफिया बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी तो कर ही रहे है। साथ ही करोड़ों के वारे न्यारे भी कर रहे हैं। और इस पूरे खेल में विकास प्राधिकरण के अधिकारी व निबंधन कार्यालय के कुछ प्राइवेट दलाल अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं।
बता दें कि बांदा में तेजी के साथ शहर का विस्तार हो रहा है। और इसी के साथ भू माफियाओं की एक बड़ी खेप किसानों को लालच देकर उनकी जमीन ओने पौने दामों पर खरीद कर उस पर प्लाटिंग करते हैं। और फिर करोड़ों में जमीन को बेच देते हैं। इसके अलावा प्लाट खरीदने वाले खरीदार भी इनका शिकार हो जाते हैं। बांदा के मवई बाईपास में अकेले 25 से भी ज्यादा ऐसी प्लाटिंग है जिनका कोई नक्शा विकास प्राधिकरण से पास नहीं है। और ना ही यह प्लाटिंग विकास प्राधिकरण के किसी मानक को पूरा करती है। फिर भी धड़ल्ले से प्लाटिंग का काम फल फूल रहा है। जिसको देखते हुए यह साफ कहा जा सकता है। कि इस खेल में विकास प्राधिकरण के अधिकारी से लेकर बाबू तक शामिल है। वहीं दूसरी ओर बांदा के नरैनी रोड में दर्जनभर प्लाटिंग ऐसी हैं जो ग्रीनलैंड अर्थात गैर आवासीय भूमि के अंतर्गत आती हैं। जिन पर किसान भी चाहे तो पक्का आवास नहीं बना सकता। नरैनी रोड पर हुकुम चंद्र गुप्ता संदीप अग्रवाल नाम के भू माफियाओं सहित कई भू माफियाओं ने ग्रीनलैंड जमीन की प्लाटिंग करके उसे बेचना प्रारंभ कर दिया है। और उपनिबंधन कार्यालय में साठगांठ करके बड़ी आसानी से लैंड परिवर्तन करवाए बिना ही रजिस्ट्री हो जाती है। बता दें कि कमर्शियल या आवासीय जमीन की रजिस्ट्री में ज्यादा स्टाम्प लगता है। वही कृषि योग्य जमीन पर कम स्टांप लगता है। स्टांप चोरी से बचने के लिए यह भू माफिया निबंधकार कार्यालय में भी अपनी पैठ बनाए हुए हैं। वहां प्राइवेट तौर पर काम करने वाले कर्मचारी सेतु का काम करते हैं। और भूमाफिया किसानों की जमीन करोड़ों में बेचकर करोड़पति बन रहे हैं। एक ओर जहां राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। तो दूसरी ओर इन प्लाटों को खरीदने वाले ग्राहकों के साथ भी बहुत बड़ा छलावा हो रहा है। भविष्य में यदि प्लाट खरीदने वालों को नोटिस पहुंचती है। तो उनका मकान तक गिराया जा सकता है। ऐसे में अपने जीवन भर की कमाई लगाकर प्लाट खरीदने वाले आम जनमानस को भी यह भू माफिया ठगी का शिकार बना रहे। बांदा जनपद में भू माफियाओं का एक बड़ा गिरोह सक्रिय है लोग बताते हैं कि हुकुम चंद्र गुप्ता, संदीप अग्रवाल, हरि शरण गुप्ता, उपेंद्र गुप्ता बामदेव कंपनी, महेश साहू अलमाटी ग्रुप, राजकुमार सविता सिद्धविनायक llp, दीपक गुप्ता शांति कंस्ट्रक्शन, सुरेंद्र सिंह, जय कुमार गुप्ता, नीलम गुप्ता, श्यामू जड़िया, विपिन चौरसिया, राइस इंफ्रा संकटमोचन, शंकर बाबू गुप्ता, अशोक साहू, रमेश राजपूत, भूषण सिंह, कल्लू जैन, विपिन दीक्षित, रज्जू गुप्ता, रज्जू सिंह महोखर, अखिलेश शिवहरे, अशोक कुमार गुप्ता, सुशील गुप्ता, सुरेश सोनी, रवि यादव, रामकुमार यादव, विजय गुप्ता, अनिल अग्रवाल, सोनू सिंह, बबलू सिंह, सुरेंद्र सिंह, आनंद गुप्ता, नामक अनेक नाम है। जिनकी प्लाटिंग नरैनी रोड, अतर्रा रोड, बबेरू रोड, मवई बाईपास, मटौंध रोड आदि क्षेत्रों में बिना मानक के धड़ल्ले से चल रही है। एक और योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर दे रही है तो दूसरी ओर बांदा विकास प्राधिकरण व उप निबंधन के अधिकारी व कर्मचारी योगी सरकार की छवि को पलीता लगा रहे हैं बांदा में भूमाफिया बेलगाम है। तो अफसरशाही मनमानी पर उतारू है। ऐसे में आम जनता को ठगा जाना आखिर कब तक जारी रहेगा यह सोचने वाली बात है।