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गाजियाबाद में पिता ने ईंट ढोकर बच्चे को पढ़ाया, अब बेटा बना 10वीं टॉपर, पिता का सिर गर्व से हुआ उंचा

यूपी बोर्ड दसवीं में गाजियाबाद टॉप करने वाले छात्र विकास कुमार के पिता राकेश मजदूरी (बेलदारी) करते हैं। कोरोना महामारी से पहले वो दर्जी का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन लगने के कारण उनका काम चौपट हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए उन्होंने मजदूरी शुरू कर दी। आज वो सिर पर ईंट-गारा ढोते हैं। कई बार ऐसा भी होता है जब उन्हें काम नहीं मिल पाता। इसके बावजूद वो हिम्मत न हारकर अपने एक बेटे और दो बेटियों को पढ़ा रहे हैं।

महर्षि दयानंद इंटर कॉलेज के छात्र विकास ये कहने में जरा भी शर्म महसूस नहीं करते कि उनके पिता चिनाई मजदूर हैं। विकास की इच्छा पुलिस सब इंस्पेक्टर बनने की है। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए उन्होने कभी ट्यूशन का भी नहीं सोचा। स्कूल के अलावा घर पर ही खुद से पढ़ाई की। स्कूल में छात्रों की अटेंडेंस को लेकर स्कूल मैनेजमेंट सख्त रहता है, इसलिए स्कूल मिस करने का कभी सवाल ही नहीं उठा।

विकास के मुताबिक कोरोना में जब स्कूल बंद हो गए तो उन्हें पढ़ाई की दिक्कत आई। मोबाइल खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। पिता से कहा तो उन्होंने जैसे-तैसे पुराना एंड्राइड फोन खरीदकर विकास को दिया। जिसके बाद उसकी ऑनलाइन पढ़ाई चालू हो पाई। मोबाइल को बच्चे गेम्स के रूप में यूज करते हैं, लेकिन उन्होंने इसको अपनी पढ़ाई का हथियार बना लिया। गूगल और यूट्यूब की मदद से हर विषय पर अपनी पकड़ बनाई। कुछ नोट्स ऑनलाइन देखे और उनका रिवीजन किया।

यूपी बोर्ड हाईस्कूल के रिजल्ट में जब विकास जिले का टॉपर बना तो उस वक्त उसके पिता राकेश कुमार एक घर में मजदूरी कर रहे थे। विकास ने फोन करके पिता को खबर दी तो उनकी खुशी की ठिकाना नहीं रहा।

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