नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान एलाके में भारतीय सेना और चीन की पीएलए के बीच खूनी झड़प हुई थी। जिसमें करीब 50 से ज्यादा दुश्मन देश के सैनिकों को भारतीय जाबांजों ने ढेर कर दिया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख बने हुए हैं। इसबीच चीनी सेना ने एकबार फिर मर्यादा लांघते हुएअ रुणाचल प्रदेश के यांगत्से इलाके में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित खाली पड़ी जमीन पर पोस्ट बनाने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने विरोध किया और तीखी झड़प हो गई है.। इसमें बड़ी संख्या में चीनी सैनिक जख्मी हे गए। बताया जा रहा है कि पीएलए के 25 से ज्यादा सैनिकों की हड्डियों को भारतीय रणबांकुरों ने तोड़ दिया। जबकि छह भारतीय जवान घायल बताए जा रहे हैं। भारतीय सेना ने पूरी घटना को लेकर प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) में तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश में तवांग के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई है। इस झड़प में दोनों देशों के सैनिक घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि ये घटना नौ और 11 दिसंबर की है। हिंसक झड़प में दोनों तरफ के सैनिक जख्मी हुए हैं। हालांकि, कोई भी भारतीय सैनिक गंभीर रूप से जख्मी नहीं हुआ है। झड़प के बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। भारतीय सेना और चीनी पीएलए के कोर कमांडरों ने फ्लैग मीटिंग करते हुए पूरे मामले को सुलझा लिया गया। भारतीय सेना ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि, चीनी सैनिक भारत के अंदर दाखिल होने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने उन्हें रोका और झड़प हो गई।
सूत्रों के मुताबिक, तवांग में आमने-सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में कहीं अधिक है। चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की नहीं थी। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।
गौरतलब है कि 1 मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। बताया जाता है कि चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर उतारू हो गए। इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया। इस झड़प में दोनों ओर से खूब पत्थर, रॉड चले थे। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 50 से ज्यादा जवान मारे गए थे।
15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया पूरी कर ली। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के संवेदनशील सेक्टर में दोनों देशों के 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।
भारत और चीन के बीच लगभग 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है। 1962 की जंग के बाद से ही इसमें से ज्यादातर हिस्सों पर विवाद है। अभी तक हुई बैठकों में दोनों देशों ने स्थिति पर नियंत्रण, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए समाधान तलाशने की बात पर सहमति जताई है। विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति कायम रखने और सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर भी समझौता किया है। सेना के रिटायर अफसरों का कहना है कि, पीएलए पहले भी इस इलाके में घुसपैठ की घोषित कर चुका है, लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें करार जवाब देती आ रही है।