जम्मू। आतंकवाद पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा प्रहार किया है। कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या में शामिल आतंकवादी बिट्टा कराटे की पत्नी समेत चार सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। इनमें कश्मीर यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसर भी शामिल हैं। सरकार ने ये कार्रवाई भारतीय संविधान के 311 के तहत की है।
जम्मू-कश्मीर में जहां सेना का ऑपरेशन ऑलआउट जारी है तो वहीं सरकार भी देश विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। सरकार को खुफिया एजेंसियों और कानूनी व्यवस्था बनाने वाली एजेंसियों की तरफ से बताया गया था कि ये कर्मचारी राज्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। ऐसे में सरकार ने इन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया।
सरकारी सेवा से बाहर किए गए लोगों में कश्मीर विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग में वैज्ञानिक डॉ मुहीत अहमद भट, कश्मीर विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट स्टडी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी, जम्मू-कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान में प्रबंधक आइटी सैयद अब्दुल मुइद और ग्रामीण विकास निदेशालय कश्मीर में डीपीओ असबा-उल-अरजामंड खान शामिल हैं।
खूफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद सरकार ने 30 जुलाई 2020 को एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की टीम ने बर्खास्त किए कर्मचारियों की जांच की। जांच में पाया गया कि, ये सभी लोग आतंकवादियों को मदद करते थे। जिसमें आतंकवादी बिट्टा कराटे की पत्नी असबा का भी नाम था। बिट्टा कराटे की पत्नी असबा ने पासपोर्ट हासिल करने के लिए गलत जानकारी दी।
असबा का विदेशी लोगों के साथ संपर्क रहा, जो भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा थे। वे लोग आईएसआई के पेरोल पर काम कर रहे थे। असबा भारत विरोधी गतिविधियों को जम्मू-कश्मीर में चलाने के लिए धनराशि जुटाने का काम भी करती थी। असबा पर पुलिस के अलावा सेना के खूफिया एजेंसियां नजर बनाए हुए थीं। असबा के खिलाफ जांच एजेंसियों के पास पर्यापत साक्ष्य मिजे हैं।
इसी तरह से मुहीत अहमद भट कश्मीर विश्वविद्यालय में अलगाववादी-आतंकवादी एजेंडा चला रहे थे और पाकिस्तान प्रायोजित कट्टरवाद के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर रहे थे। मुहीत अहमद भट, युवाओं के अंदर भारत के खिलाफ अलगाव पैदा कर रहे थे। इसके अलावा मुहीत अहमद भट पाकिस्तानी आतंकवादियों की एक स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे थे। जल्द ही पुलिस मुहीत अहमद भट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकती है।
कश्मीर विश्वविद्यालय में माजिद हुसैन कादरी जो सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात थे, का संबंध लंबे समय तक आतंकी संगठनों के साथ रहा है, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा भी शामिल है। उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानूनी के तहत मुकदमा दायर किया गया था और विभिन्न आतंकी संबंधी मामलों में अलग-अलग धाराओं के तहत एफआईआर भी दर्ज हैं।
जम्मू कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान में प्रबंधक आईटी सैयद अब्दुल मुइद की भूमिका पांपोर के सेमपोरा में संस्थान कांपलेक्स पर हुए हमले में भी रही है। संस्थान में रहते हुए उनकी अलगाववादी ताकतों के साथ हमदर्दी भी थी। अब्दुल पर खूफिया एजेंसियों की कई वर्षों से नजर थी। उनकी हर गतिविधि पर एजेंसियां नजर बनाए हुए थीं। एजेंसियों ने इनके खिलाफ साक्ष्य एकत्र किए और सरकार के सौंपी।