जस्टिस अलोक जैन ने वैट रिफंड घोटाले मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। अब इस मामले की उस डिवीजन बेंच के सामने सुनवाई होगी जिसके सदस्य जस्टिस अलोक जैन न हों। मामला अन्य बेंच को देने के लिए चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया गया है। पिछली सुनवाई पर 10 हजार 618 करोड़ के घोटाले के दावे को जहां हरियाणा सरकार ने नकार दिया था..
हरियाणा के 10 जिलों में हुए वैट रिफंड घोटाले (VAT Refund Scam) मामले की सुनवाई से जस्टिस अलोक जैन ने अपने को अलग कर लिया है। यह मामला जस्टिस रितू बाहरी व जस्टिस अलोक जैन की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आया था। लेकिन जस्टिस अलोक जैन ने कुछ कारणों का हवाला देकर इस मामले से अपने को अलग कर लिया।
अब इस मामले की उस डिवीजन बेंच के सामने सुनवाई होगी जिसके सदस्य जस्टिस अलोक जैन न हों। मामला अन्य बेंच को देने के लिए चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया गया है। पिछली सुनवाई पर 10 हजार 618 करोड़ के घोटाले के दावे को जहां हरियाणा सरकार ने नकार दिया था, वहीं ईडी ने हर मामले की जांच को जरूरी बताया था। ईडी ने बताया था कि इस मामले में 74 एफआइआर दर्ज की गई थी और इनमें से सात में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की गई हैं और 20 में चालान पेश किए जा चुके हैं।
सरकार पर लगे गंभीर आरोप
इसी मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि हरियाणा सरकार वैट घोटाले में छोटे व्यापारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई कर रही है लेकिन जिनके खिलाफ लोकायुक्त ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी, उनको बचाया जा रहा है। छोटे व्यापारियों के खिलाफ काफी संख्या में एफआइआर दर्ज की गई हैं, ताकि असली दोषियों को बचाया जा सके।
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जब यह पूछा कि उसने लोकायुक्त की एसआइटी की जांच रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की तो इस पर सरकार ने जवाब दायर कर कहा था कि लोकायुक्त की एसआइटी ने इस मामले में सनसनी फैलाने के लिए बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ था।
‘हरियाणा सरकार का जवाब संदेह पैदा करता है’
इस पर याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने कोर्ट को कहा कि इस मामले में हरियाणा सरकार का जवाब संदेह पैदा करता है क्योंकि खुद हरियाणा सरकार यह कह चुकी है कि दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रिकवरी की जा चुकी है तो ऐसे में लोकायुक्त की एसआइटी पर सरकार की ऐसी टिप्पणी उचित नहीं है।
हरियाणा में वर्ष 2004 से चर्चित वैट घोटाले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर विशेष रूप से गठित कमेटी ने की थी। इस जांच में 10 हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ था और इसमें अनेक बड़े व्यापारियों और बिल्डरों के शामिल होने के संकेत मिले थे। हरियाणा सरकार ने बताया कि इस घोटाले में 10 हजार करोड़ तो बिल्डरों से जुड़ा है और बिल्डरों के कर को लेकर हाईकोर्ट कई मामलों में वैट रिकवरी पर रोक लगा चुका है।