कानपुर। 3 जून की दोपहर जुमे की नमाज के बाद नई सड़क पर एकाएक भीड़ जमा हो गई और नारेबाजी करनी शुरू कर दी। लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले उपद्रवी शहर को दंगे की आग में झोंकने पर अमादा हो गए। पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद दंगाईयों पर काबू पाया। पुलिस ने घटना के बाद 28 उपद्रवियों को गिरफ्तार करने के साथ 40 नामजद और 1 हजार अज्ञात लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि, उपद्रवियों व असामाजिक तत्वों ने मुस्लिम युवकों को धर्म का वास्ता देकर भड़काया। पूरी घटना में एमएमए जौहर फैंस और पापुलर फंड आफ इंडिया (पीएफआई) का कनेक्शन भी सामने आया है। साथ ही कुछ अपराधियों के नाम भी सामने आए हैं। जिसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है।
पीएफआई का नाम आया सामने
कानपुर में 3 जून को हिंसा भड़की और आधा दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। उपद्रवियों ने तीन घंटे से ज्यादा समय तक तांडव किया। पथराव के साथ ही फायरिंब व बमबाजी कर पुलिस को बैकफुट में भेज दिया। पुलिस ने एक्शन लेते हुए उपद्रवियों पर लाठी भांजी और 28 शातिरों को दबोच लिया। जबकि मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी को पुलिस ने 24 घंटे के अंदर लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, इस मामले में हाशमी का पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े होने के अहम साक्ष्य मिले हैं। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। मामले में छह मोबाइल भी मिले हैं जिनकी जांच की जा रही है।
पीएफआई से जुड़ी चार संस्थाओं के दस्तावेज बरामद
पुलिस को मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी के पास से पीएफआई पापुलर फ्रंट आफ इंडिया से जुड़ी चार संस्थाओं के दस्तावेज भी मिले हैं। हाशमी के पास एआइसीसी, एसडीपीआई, सीएफआई और आरआईएफ जैसी संस्थाओं के कई दस्तावेज मिले हैं। यह सभी पीएफआई से जुड़ी हैं। पीएफआई इन सभी संस्थाओं को पहले भी फंडिंग करता रहा है। वहीं पुलिस को पूरी आशंका है कि हयात जफर हाशमी भी पीएफआई से जुड़ा हुआ था। इसकी संस्था को भी पीएफआई समेत अन्य जगह से फंडिंग की जा रही थी। पुलिस जल्द ही मामले की जांच पूरी होते ही बड़ा खुलासा करेगी।
एसआईटी का गठन
इस मामले में मुख्य आरोपित जफर हाशमी के पीएफआई लिंक की छानबीन के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने एसआईटी गठित करने की जानकारी दी है। कमिश्नर का कहना है कि हाशमी के पास पीएफआई से जुड़ी कई संस्थाओं के दस्तावेज बरामद हुए है, जिसके आधार पर जांच की जाएगी। सीपी ने कहा कि आरोपियों को कोर्ट से पुलिस रिमांड पर लेगी और पूछताछ करेगी। साथ ही आरोपियों के खिलाफ पुलिस गैंगस्टर एक्ट और रासुका के तहत कार्रवाई करेगी।
पुलिस ने पीएफआई के सदस्यों को दबोचा था
केरल के चरमपंथी संगठन पीएफआई का नाम शहर में सीएए को लेकर बवाल के दौरान सामने आया था। पुलिस ने इसके पांच सदस्यों को उपद्रव में शामिल होने के आरोपों में गिरफ्तार किया था। तब से यह चर्चा है कि मुस्लिम क्षेत्रों में यह संगठन तेजी से पैर पसार रहा है। अब एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन पर भी सवाल है कि वह कानपुर में पीएफआई के इशारे पर काम करता है। बंद के आह्वान दोनों ने एक ही दिन क्यों किया, जांच का विषय है। पुलिस आयुक्त दोनों संगठनों के आर्थिक स्रोतों की जांच के लिए भी कह चुके हैं।
डी-टू गैंग के गुर्गे पकड़े गए
जिन लोगों को नामजद किया गया है या पकड़ा गया है, उनमें शामिल इसराइल, आदिल और इमरान कालिया पर डी-टू गैंग के लिए काम करने का आरोप है। डी-टू गैंग का सबसे खास शूटर अफजाल दस दिनों पहले जेल से छूटा है। उसके भी इस उपद्रव में शामिल होने की आशंका है। टी-गैंग पहले सिमी के लिए काम करता था। इस गैंग के संबंध दाउद से भी बताए जा रहे हैं। हलांकि डी-टू गैंग की कमर पुलिस ने कई दशक पहले तोड़ दी थी। मोनू पहाड़ी, रईस बनारसी की मौत के बाद टॉयसन भी सलाखों के पीछे है।
भूमाफिया कुछ आपराधिक तत्वों से भी जुड़े
नई सड़क व दादा मियां का हाता क्षेत्र, जहां शुक्रवार को बवाल हुआ, वहां भी आसपास बड़ी संख्या में शत्रु संपत्तियां हैं। जो एफआइआर घायल मुकेश की ओर से दर्ज कराई गई है, उसमें भी कहा गया है कि यहां शत्रु संपत्तियों पर केडीए के अफसरों के आंख मूंदने की वजह से ऊंची-ऊंची अवैध इमारतें तन गईं। यही ऊंची इमारतें अब पथराव और गोलीबारी का केंद्र बन गई हैं। शत्रु संपत्तियों की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इससे जुड़े भूमाफिया कुछ आपराधिक तत्वों से भी जुड़े हैं।