कानपुर। बिकरू कांड की आरोपित खुशी दुबे पूरे 30 माह 24 दिन के बाद शनिवार की शाम जेल से बाहर आ गई। खुशी जेल से सीधे अपने मायके पनकी स्थित घर पर पहुंची। इससे पहले बिकरू कांड की आरोपी युवती ने मीडिया से बातचीत के दौरान कई राज उगले। खुशी ने बताया कि, जिन दिन आठ पुलिसकर्मियों का कत्ल हुआ, उस वक्त वह अपने पति अमर के साथ घर पर थी। गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी। सुबह जब दरवाजा खोला तो पुलिस बाहर खड़ी थी। वह मुझे थाने लेकर चली गई। चार दिन तक हवालात में रखा और फिर जेल भेज दिया। खुशी ने कहा कि, विकास दुबे ने बहुत गलत काम किया था। पुलिस इंसानों की सुरक्षा करती है और उसने उनका ही खून बहाया।
30 माह के बाद जेल से बाहर आई खुशी
बिकरू कांड में आरोपित खुशी दुबे की 30 माह 24 दिन बाद जमानत पर शनिवार शाम 7ः30 बजे जेल से रिहाई हो गई। जेल से बाहर आने के बाद खुशी ने कहा कह उसे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। किस अपराध में उसे जेल भेजा गया, इस प्रश्न पर उसने पता नहीं होने की बात कही। मुख्य मामले में खुशी समेत अब तक तीन लोगों को जमानत मिल चुकी है। हालांकि रिहाई सिर्फ खुशी की ही हुई है। बिकरू कांड से जुड़े मामले का एक आरोपित भी जमानत पर जेल से बाहर आ चुका है। खुशी ने कहा कि, उसे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मैं एक दिन जरूर निर्दोष साबित होंगी। खुशी ने आगे कहा कि, वह राजनीति में नहीं जाएगी, बल्कि आगे की पढ़ाई कर एनएलबी करेगी।
क्या है पूरा मामला
कानपुर नगर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 की रात कुख्यात विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर विकास ने साथियों के साथ मिलकर फायरिंग की थी। इसमें बिल्हौर के तत्कालीन सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। पुलिस ने विकास समेत छह आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। वहीं घटना में कुल 45 लोग जेल भेजे गए थे। इसमें खुशी की जमानत होने के बाद अब 44 लोग जेल के अंदर हैं। पुलिस ने एनकाउंटर में मारे गए अमर दूबे की पत्नी खुशी दुबे पर हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती तथा फर्जी दस्तावेज से सिम लेने का मुकदमा दर्ज कराया था। आठ जुलाई 2020 को पुलिस ने उसे जेल भेजा था। नाबालिग होने के चलते पहले उसे बाराबंकी के सुधार गृह में रखा गया था और बाद में माती जेल लाया गया था।
4 जनवरी को मंजूर हुई थी जमानत
सुप्रीम कोर्ट से चार जनवरी को जमानत अर्जी मंजूर होने के बाद शनिवार शाम करीब 5.30 बजे पाक्सो कोर्ट से रिहाई परवाना पहुंचा। जेल से बाहर आने के बाद खुशी दुबे ने बिकरू कांड की रात के सवाल पर कहा कि वह कमरे के अंदर थी और रात के समय बाहर गोलियां चलने की आवाज आ रही थी। बाकी उसे कुछ नहीं पता। घटना के बाद पुलिस उसे ले गई थी और चार दिन बाद जेल भेज दिया था, जबकि वह समझती रही कि पुलिस उसे घर लेकर जा रही है
30 जून को हुई थी खुशी की अमर से शादी
बिकरू कांड के मुख्य आरोपी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे (मुठभेड़ में मारे जा चुके) की 30 जून 2020 को पनकी कानपुर नगर निवासी खुशी के साथ शादी हुई थी। शादी के दो दिन बाद ही बिकरू कांड हो गया। खुशी ने बताया कि उसका बिकरू कांड से कोई लेना देना नहीं था। खुशी ने कहा कि, उसके सास-ससुर अभी भी जेल में बंद हैं। हम अपने वकील के जरिए उन्हें भी जेल से बाहर लाने का प्रयास करेंगे। खुशी ने एडवोकेट शिवाकांत दीक्षित का शुक्रिया अदा करने के साथ राजनीतिक दलों के नेताओं का अभार भी प्रकट किया।