प्रयागराजः बाहुबली पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने गुरूवार को बसपा में शामिल हो गईं। पूर्व सांसद घनश्याम चंद्र शंखवार ने उन्हे बसपा की सदस्यता दिलाई है। पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद अहमदाबाद की जेल में हैं। अतीक की पत्नी अब पूरी तरह से राजनीति में उतरना चाहती हैं। प्रयागराज में आयोजित बसपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में शाइस्ता परवीन ने बसपा ज्वाइन की है। बसपा की सदस्यता की ग्रहण करने के बाद शाइस्ता लखनऊ में मायावती से मुलाकात करेंगी।
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन किया था। बसपा प्रमुख निकाय चुनाव से एक अलग समीकरण तैयार करना चाहती है। बसपा निकाय चुनाव में दलित मुस्लिम के समीकरण पर निशाना साध रही है। इसी क्रम में बसपा ने पहले सहारनपुर में इमरान मसूद की मत्नी को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद अब अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता को महापौर का टिकट थमाकर मुस्लिम वोट बैंक पर निशाना साध रहीं हैं।
आवैसी का छोड़ा साथ
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले आल इंडिया मजलिसे इत्ताहेदुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लखनऊ में पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। इसके बाद उनके शहर पश्चिमी से चुनाव लड़ने की भी हवा उड़ी तो पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार भी घोषित किया लेकिन शाइस्ता चुनाव के मैदान में नहीं कूदीं।
बीएसपी में शामिल होने के बाद मायावती से मिलेंगी
शाइस्ता परवीन ने एक महीने पहले ही मायावती से मुलाकात करके महापौर का चुनाव लड़ने के एलान किया था। हालांकि उनकी मायावती से अबतक मुलाकात नहीं हो सकी हैं। लेकिन उन्होंने बताया कि वह सदस्यता लेने के बाद मायावती से मिलने जाएंगी।
सीएम योगी की जमकर की थी तारीफ
बाहुबली अतीक अहमद 20 अक्तूबर को लखनऊ में एक मामले पर पेशी पर आए थे। जहां उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहादुर और ईमानदार मुख्यमंत्री हैं। इसके कुछ दिनों के बाद ही अतीक की पत्नी शाइस्ता ने भी प्रयागराज में प्रेसवार्ता कर के योगी की तारीफ की थी। इसी प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने महापौर पद पर चुनाव लड़ने की भी घोषणा की थी।
अतीक अहमद का ऐसा रहा राजनीतिक सफर
अतीक अहमद ने 1989 से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। पहली बार वह इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दल उम्मीदवार के रूप चुनाव में कूदे और पहली बार ही विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के गोपालदास को 8102 वोट से हराया। इसके बाद अतीक अहमद ने इसी सीट से 1991 और 1993 का चुनाव भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता। फिर वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और वर्ष 1996 में चौथी बार विधायक बनने की हैट्रिक लगाई।
अतीक अहमद ने 1999 में सपा का साथ छोड़कर सोनलाल पटेल की पार्टी अपना दल में शामिल हुए थे। प्रतापगढ़ से चुनाव लड़े और उसे हार का सामना करना पड़ा। अपना दल ने 2002 में अतीक को उनकी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से टिकट दिया था। इस चुनाव में अतीक अहमद को फिर कामयबी मिली और वह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे।
मुलायम सिंह यादव की 2003 में सरकार बनी तो अतीक अहमद एक बार फिर सपा में शामिल हो गए थे। 2004 का लोकसभा चुनाव लड़ा। चुनाव में जीत के साथ ही वह पहली बार संसद की दहलीज तक पहुंचा। इसके बाद अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी से वर्ष 2014 में श्रावस्ती से चुनाव लड़ा था। जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।