- दूर हो गई दिलों की दूरीया, साथ लेना अखिलेश की है मजबूरी
शिवपाल को मिलेगी सपा में बड़ी जिम्मेदारी,शिवपाल निभाएंगे 24 में बड़ी भागीदारी
शिवपाल और अखिलेश में हो गया समझौता,UP का जिम्मा अब शिवपाल के भरोसे
अखिलेश करेंगे अब दिल्ली की सियासत । समाजवाद के चाणक्य की अब होगी पार्टी में वापसी
24 की लड़ाई में बीजेपी को पटखनी देने के लिए अखिलेश ने तैयार कर ली रणनीति,मजबूरी में ही सही लेकिन शिवपाल और अखिलेश एक दूसरे के करीब आ गए मुलायम सिंह यादव जीते जी जो नहीं कर पाए वो उनके जाने के बाद हो गया शिवपाल और अखिलेश आखिरकार एक हो ही गए डिंपल यादव के चुनाव ने दिलों की दूरियां मिटा दी अब जल्द ही सपा में शामिल हो जाएंगे शिवपाल यादव ।
मैनपुरी के नतीजे चाहे जो भी आए लेकिन यह तय हो गया है कि चाचा और भतीजे की जोड़ी अब साथ रहेगी भतीजा चाचा को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देगा तय हो गया है शिशुपाल यादव यूपी की सियासत में अब सपा का बड़ा चेहरा बनेंगे अखिलेश यादव जल्द ही इसका आधिकारिक ऐलान करेंगे तमाम तल्ख़ियां तमाम विवाद के बाद अब आखिरकार चाचा और भतीजे ने एक साथ सियासी गलबत्या करने का इरादा कर लिया है दोनों को बखूबी मालूम है की अलग-अलग चलकर दोनों का नुकसान है 2016 से जब से शिवपाल यादव से अखिलेश अलग हुए हैं तब से पार्टी कोई भी चुनाव नहीं जीत पाई 2017 का विधानसभा हारा 2022 का विधानसभा हारा 2019 का लोकसभा हारा राज्यसभा के चुनाव हारे विधान परिषद के चुनाव हारे यहां तक कि जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत तक के चुनाव में समाजवादी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ लगातार पार्टी के करीबी नेता साथ छोड़ छोड़कर जा रहे हैं ऐसे में अखिलेश को भी अब जरूरत है संगठन के मजे हुए खिलाड़ी शिवपाल यादव की…
समाजवादी सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव चाचा शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी सौंप सकते हैं और खुद दिल्ली की सियासत के लिए 2024 के लिए पार्टी को तैयार करने का काम करेंगे अखिलेश यादव ने इस बात के संकेत चुनाव प्रचार के दौरान ही दे दिए थे कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे इसकी तस्दीक तब हो गई जब अखिलेश यादव कन्नौज में जाकर यह कह दिया कि वह कन्नौट से चुनाव लड़ेंगे ऐसे में बिल्कुल हैं कि अगर अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो वह विधानसभा से इस्तीफा देंगे और अगर वह विधानसभा से इस्तीफा देंगे तो सीधे तौर पर नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी किसी और को देनी होगी ऐसे में शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी देकर न सिर्फ पार्टी में एक मजबूत जिम्मेदारी शॉपिंग ए बल्कि शिवपाल यादव का ओहदा भी बड़ा होगा लेकिन जानकार इसके पीछे की सियासत थी मानते हैं भले ही अखिलेश और शिवपाल के बीच तल्ख़ियां और जो गलतफहमियां थी वह दूर हो गई हो लेकिन अभी भी अखिलेश यादव को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि अखिलेश संगठन में शिवपाल को बड़ी भूमिका देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि अगर शिवपाल को संगठन में कोई भूमिका देनी होगी तो कम से कम उन्हें प्रदेश अध्यक्ष तो बनाना ही पड़ेगा और अगर ऐसा होता है तो संगठन में सीधे तौर पर दखल शिवपाल यादव का हो जाएगा जो अखिलेश यादव अभी भी नहीं चाहते यही वजह है कि शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष का पद देकर नसीर उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पार्टी रहेगी बल्कि संगठन में सीधी भूमिका से भी उन्हें अलग किया जा सके गा इसके साथ ही अखिलेश यादव ज्यादा मजबूती के साथ 2024 पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
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मैनपुरी के चुनाव में रामगोपाल यादव शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच में बढ़ी नजदीकियां पार्टी के लिए एक शुभ संकेत माना जा रहा है शिवपाल की भूमिका पार्टी में कुछ भी हो लेकिन इतना तो तय है कि अगर तीनों के बीच में गफलत ए दूर होती है तो यह बीजेपी और दूसरे विपक्षी पार्टियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द होगी क्योंकि तब समाजवादी पार्टी ज्यादा मजबूती के साथ मुकाबले के लिए तैयार होगी ।