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Municipal Elections: कांग्रेस के जातिगत समीकरण में फिट बैठ रहे ब्राह्मण प्रत्याशी… मुस्लिम वोटर होगें गेम चेंजर… दावेदारो में मची होड़  

कानपुर: यूपी में निकाय चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शहर की नब्ज टटोलने में जुटे हैं। कानपुर से कांग्रेस पार्टी का दशकों पुराना रिश्ता रहा है। निकाय चुनाव में महापौर पद के लिए ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता गेम चेंजर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। यदि कानपुर की बात की जाए तो कांग्रेस ने निकाय लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया है। इस निकाय चुनाव में कांग्रेस मेयर पद जीतने का दम भी भर रही है। इसके पीछे जातिगत समीकरण है। कानपुर में मेयर पद के बीच कांटे की टक्कर होती है।

कानपुर में जातिगत आकड़ों के लिहाज से कांग्रेस पार्टी उत्साहित नजर आ रही है। कांग्रेस के जातिगत समीकरणों के हिसाब से ब्राह्मण प्रत्याशी फिट बैठ रहे हैं। निकाय चुनावों में मेयर के लिए मुस्लिम वोटर गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। पिछले एक दशक से बीजेपी के मेयर जीत कर आ रहे हैं। इस चुनाव में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। मुस्लिम वोटर यदि किसी एक पार्टी के पक्ष में गए, तो उसकी जीत पक्की मानी जा रही है।

नगर-निगम चुनाव में कांग्रेस किसी ब्राह्मण या फिर वैश्य प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है। लेकिन पार्टी के अंदर से ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारने की मांग उठ रही है। नगर-निगम चुनावों में मेयर पद के लिए कानपुर की 07 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें नगर निगम के 110 वार्ड शामिल हैं। इन विधानसभा सीटों में सबसे बड़ा वोट बैंक ब्राह्मण वोटरों का है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर हैं। मुस्लिम वोटर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ते हैं।

वरिष्ठ कांग्रेसियों का मानना है कि नगर-निगम चुनावों में बसपा की सक्रियता कम रहती है। सपा और बसपा का फोसक वार्ड पार्षदों की तरफ होता है। मेयर पद के लिए सपा और बसपा ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाती हैं। ऐसे में मुस्लिम, ब्राह्मण, एससी और ओबीसी वोटरों में सेंध लगाई जा सकती है। इसके लिए जमीनी स्तर पर कांग्रेस पार्टी काम कर रही है।

युवाओं की फौज खड़ी कर दी
कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी सबसे ज्यादा हावी है। कानपुर की गुटबाजी को खत्म करने का काम कांग्रेस के युवा ब्राह्मण चेहरे ने किया है। युवा छात्र नेता विकास अवस्थी ने पार्टी को संगठित करने के साथ ही शहर में युवाओं की फौज खड़ी कर दी है। महापौर के पद के लिए कई ब्राह्मण चेहरे दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन सबसे आगे विकास अवस्थी का नाम चल रहा है। विकास अवस्थी यूपी प्रदेश सचिव हैं। पिछले चुनाव नगर-निगम चुनाव में कांग्रेस की बंदना मिश्रा बीजेपी की प्रमिला पांडेय से हार गईं थीं। बंदना मिश्रा एक बार फिर टिकट की मांग कर रही हैं।

जातिगत आकड़े
कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से 07 सीटें नगर-निगम में आती हैं। महापौर के चुनाव में 07 विधानसभा सीटों के वोटर वोट करते हैं। ऐसे में जातिगत आकड़े सबसे ज्यादा महत्व रखते हैं। नगर-निगम क्षेत्र में ब्राह्मण वोटरों की संख्या 06.50 लाख है। मुस्लिम वोटरों की संख्या 05 लाख है, ओबीसी वोटरों की संख्या 04 लाख है, एससी वोटरों की संख्या भी 4 लाख के लगभग है, वैश्य वोटरों की संख्या 01.50 लाख है। वहीं क्षत्रीय वोटरों की संख्या 60 हजार है।

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